"मुझे कुछ काम मिलेगा?"
"दुकान पर कुछ काम मिल जायेगा क्या ?" लड़की ने पुनः दर्द भरे लहजे में कहा ।
मैंने उस लड़की की तरफ देखा।
रात के तकरीबन दस बजे से कुछ ऊपर रहे होंगे , मार्किट की अधिकतर दुकाने बंद हो चुकी थीं । सड़क से भीड़ लगभग छंट सी गई थी ,अब तो इक्का दुक्का ही दिख रहे थे उसमे भी शादियां अटेंड कर के वापस आने वाले अधिक थे । शराब का ठेका पास होने के कारण कुछ और देर में ही शराबियो का दुकानों के आगे बने चबूतरों पर कब्ज़ा होने वाला ही था ।
"कैसा काम ? " मैंने दुकान बंद करने की प्रक्रिया आरम्भ करते हुए लड़की की तरफ सरसरी निगाह डालते हुए पूछा
"कोई भी काम ....झाड़ू पोछा भी कर लुंगी "लड़की ने जबाब दिया ।
"मेरे पास तो लड़के की जगह खाली है ,मुझे फीमेल स्टाफ नहीं चाहिए "मैंने उस लड़की को भागने वाले अंदाज में कहा ।
" मैं सब काम कर लुंगी , जो आप कहेंगे ... मुझे काम पर रख लो "लड़की ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा ।
अब मैंने अपना काम छोड़ उसकी तरफ ध्यान दिया ,तकरीबन 16-17साल की लड़की रही होगी वह ।चेहरे से बचपना झलकता हुआ किन्तु शरीर पूरा वयस्कता लिए हुए ।रंग साफ तथा पुरे हाथो में मेहँदी लगी हुई जैसे अक्सर शादी ब्याह में लड़कियां लगवा लेती हैं ।
"कँहा रहती हो ?"मैंने आगे पूछा
"अभी कंही नहीं रहती " लड़की ने धीरे से कहा
"कंही नहीं रहती हूँ !मतलब!घर कँहा है तुम्हारा? " मैंने जोर देखे पूछा ।
"अभी कंही भी नहीं रहती ... आप काम देदो आपकी दुकान में सो जाऊंगी "लड़की ने जबाब दिया ।
मेरा माथा ठनक गया , कंही किसी गैंग की सदस्या तो नहीं जो अकेली लड़की काम मांगती है और फिर गैंग के साथ मिल के चोरी करती है ? या कंही अकेली लड़की पहले किसी दुकान में घुसती है और फिर छेड़ छाड़ का आरोप लगा के से पैसे ऐंठ लेती है ।
मैं थोड़ा घबरा गया पर फिर ध्यान आया की दुकान में तो कैमरे लगे हुए है और रिकॉर्डिग चालू है ।अगर छेड़ छाड़ का आरोप लगाएगी तो मेरे पास सबूत रहेगा । फिर मैं निश्चित हो लड़की की तरफ पुनः
मुख़ातिब हुआ ।
"क्या नाम है तुम्हरा? और घर कँहा है तुम्हरा ?साफ़ साफ़ बताओ तभी तो कोई काम पर रखेगा " मैंने पूछा
" जी नेहा , मैं घर से भाग के आई हूँ ....कल्याण पूरी में मेरा घर है " उसने झिझकते हुए बताया ।
" घर से भाग के आई हो? "मैंने चौकते हुए पूछा ।
" किसी लड़के के साथ भागी हो ? "
"लड़के के साथ नहीं ,अकेली आई हूँ ... माँ सौतेली है और मारती है इसलिए भाग आई हूँ " लड़की ने जबाब दिया ।
" भाग के आई हो ...तो अभी रोहगी कँहा?उम्र कितनी है तुम्हारी?यंहा इतनी दूर कैसे आई?"मैंने एक साथ कई प्रश्न पूछ डाले।
"पंद्रह साल ...बस में बैठ गई थी मुझे पता नहीं था कि कँहा जायेगी ..कंही भी रह लुंगी....आपके साथ रह लुंगी ,आप अपने साथ रख लीजिए मुझे आपका सब काम करुँगी "लड़की ने थोड़ा करीब आते हुए जबाब दिया ।
मैं थोड़ा पीछे हट गया ।
"पंद्रह साल !नाबालिग है ,गुस्से में भाग के आई है ।अगर अभी इसे भगा देता हूँ तो सही नहीं रहेगा ...रात का समय है और सड़क भी सूनसान हो चुकी है यदि अब यह बाहर भटकती है तो सम्भवना कम है कि सुबह तक यह सही सलामत रहे ...यदि किसी गलत हाथो में पड़ गई तो फिर इसका जीवन बर्बाद हो जायेगा ,बाकी जीवन शायद कोठे पर ही बीते ।अभी भी जिस तरह व्यवहार कर रही है कोई भी इसका फायदा उठा सकता है .... नादान लड़की है ,इसकी जरा सी गलती इसका पूरा जीवन बिगाड़ सकती है ।बाहर वैसे भी नसेड़ी सक्रीय हो चुके हैं और पास में ही एक बड़े क्षेत्र की आबादी में कुछ ऐसे भी लोग है जो अपने से अलग प्रार्थना पदत्ति के समूह की महिलाओं से सम्बन्ध बनाने को 'शबाब' का काम की मान्यता देते है ,अगर ऐसे लोगो के चंगुल में फंस गई तो न जाने क्या घटना हो जाए इसके साथ ।मेरे मन में न जाने कितनी ही इस प्रकार की शंकाओ की घनी बदली घिर आई ।
मैंने कुछ सोचा और फिर पड़ोस के एक दुकानदार को बुला लाया राय लेने के लिए ।जब उसने सारी कहानी सुनी तो उसके आँखों में एक अजीब सी झलक देखी मैंने ,वह लड़की से कई सवाल कर रहा था तो कर रहा था किंतु उसकी आँखे लड़की के वक्ष पर टिकी हुई थी ।
मैं चकरा गया ,लड़की यंही मेरे सामने ही सेफ नहीं लग रही थी ।मैंने तुरंत घर पर अपनी पत्नी को फोन किया और सारी बात उसे बताई ।
मैंने कहा कि मैं लड़की को लेके घर आ रहा हूँ ।
पत्नी ने कहा कि पहले पुलिस को फोन कर दो ।मैंने कहा कि अगर पुलिस को अभी फोन करते हैं तो हो सकता है की यह भाग जाए तब इसे पकड़ना और मुश्किल होगा ,अगर मैं इसे पकडूँगा तो शोर भी मचा सकती है तब इसे संभालना मुश्किल होगा और हमें दोस्त की वजाय दुश्मन समझने लगेगी ।
मैंने कहा कि अभी इसे घर लाता हूँ और खाना खिलाते हैं फिर उसके बाद देखते है कि आगे क्या करना है ।
मैंने फौरन दुकान का शटर गिराया और लड़की से कहा कि वह मेरे घर चले ,वंहा खाना -पीना करे उसके बाद उस काम पर रख लूंगा ।मुझे प्यार से उसे सम्भलना था ताकि वह कंही पुलिस का नाम सुन के भागने न लगे ।
रास्ते में उससे उसके बारे में और जानकारी लेता रहा ,उसने बताया कि उसकी एक बहन और है बड़ी जिसकी शादी 20 नवम्बर को ही हुई थी उसी शादी में हाथो में मेहंदी लगाईं है ।पापा ट्रक ड्राइवर हैं और अधिकतर बाहर ही रहते हैं ,माँ सौतेली है जो उसको तंग करती रहती है । अभी वह नौंवी कक्षा में ही थी की मां ने पढाई छुड़वा दी और घर के कामो में लगा दिया ,रोज किसी न किसी बात पर पिटाई करती है उसका फेवर लेके पिता भी मारता पीटता है ।आज मौका पा के घर से भाग आई।
मैंने पूछा की मां बाप पुलिस कंप्लेंट करेंगे तो ? पुलिस खोजेगी उसे ।तब उसने तपाक से जबाब दिया की उसकी गली से एक लड़की और भाग गई थी ,पुलिस ने एक दिन खोजा और फिर भूल गई वह लड़की आज तक नहीं मिली ।उसके दिमाग में था की पुलिस उसे एक दिन खोज के शांत हो जायेगी।
इतने में हम घर पहुंच गएँ।
घर पहुँच के सब एक विवाह समारोह में जाने के लिए तैयार बैठे थे , जब मां को पता चला लड़की के बारे में तो वह गुस्सा हुई की किसी मुसीबत को न उठा लाया हूँ मैं ।कंही लड़की उल्टा सीधा इल्जाम न लगा दे मेरे ऊपर,कंही उसके घर वाले ही कुछ इल्जाम लगा दें आदि कई तरह की शंकाओं को लेके परेशान हो उठी वह ।
फिर मेरे समझाने से की अकेली लड़की को यूँ रात में असुरक्षित कैसे छोड़ सकता था मैं ,उसके बाद कुछ शांत हुंई।
थोड़ी देर में पत्नी नेहा के लिए खाना ले आई ,खाना खिलाने के बाद उसे समझाने का काम शुरू हुआ । वह अपने घर जाने को तैयार ही न थी बल्कि वह तो हमारे साथ ही रहना चाहती थी । तब मैंने उसे समझाया कि वह नाबालिग है इस लिए पुलिस में सूचित करना जरुरी है वरना बाद में पुलिस हमें परेशान करेगी इसलिए एक बार पुलिस को सूचित करने के बाद हम उसे वापस ले आएंगे और फिर वह जिनते दिन चाहे वह हमारे साथ रह सकती है।मैंने उसका विश्वास जींतने के लिए कुछ रूपये भी दे दिए उसे ।
बहुत विश्वास दिलाने के बाद वह राजी हुई पुलिस थाने जाने के लिए ।उसके बाद मैं उसे थाने लेके चल दिया ,साथ में पत्नी और भाई भी थे ।रास्ते में मैंने एक दोस्त को फोन कर दिया की वह थाने आ जाए ।
थाने पहुंच के मैंने सारी बात बताई तो उन्होंने नेहा से उसके घर का पता पूछा जो अब तक मुझे वह सही से नहीं बता रही थी । नेहा ने अपने घर के पते के साथ साथ पिता का फोन नम्बर भी बताया । नेहा के पिता से पुलिस ने बात की और सारी बात बताई ,उसके पिता पुलिस स्टेशन ही जा रहे थे उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने ।
उसके बाद पुलिस ने काफी तारीफ की हमारी और कहा कि इसे लोग कम ही होते हैं जो इतनी रात को एक अकेली लड़की की मदद करने के लिए पुलिस के पास आएं ।
उन्होंने नेहा से कहा की यह तो बहुत अच्छा हुआ की तुम इन जैसे लोगो के पास पहुँच गई और ये तुम्हे सही सलामत यंहा ले आये वार्ना पता नहीं क्या होता तुम्हारा ।
नेहा चुप खड़ी सब सुनती रही।
हम नेहा के पिता के आने का इंतेजार करने लगे ,लगभग एक घंटे से अधिक देर हम थाने में बैठे रहे किंतु तब तक नेहा का पिता नहीं आये थे ।रात बहुत ज्यादा हो गई थी लगभग 12 :30 बज गए चुके थे ,सुबह से काम कर के थक गया था और भूंख भी तेज लग रही थी तो मैंने पुलिस से इजाजत चाही ।पुलिस ने कहा की यदि हम चाहे तो रुक सकते हैं क्यों की नेहा के पिता आ रहे थे और "गुड़ फेथ" के तहत आभार भी प्रकट करना चाहते हैं ।
मैंने पुलिस से कहा की लड़की सही सलामत अपने घर पहुँच जायेगी यही सबसे अच्छी बात है हमारे लिए ,उसके बाद हम सब थाने से निकल लिए ।करीब एक घण्टे बाद नेहा के पिता का फोन आया की उसे नेहा मिल गई है .... बहुत आभर प्रकट कर रहे थे ।
हमें बहुत ख़ुशी हुई की एक लड़की को किसी गलत हाथो में पड़ के बर्बाद होने से बच गई थी ।
हाँ लेकिन इस बचाव कार्य में हमारी पार्टी जरूर मिस हो गई थी ,बच्चे मुझ पर गुस्सा थे की उन्हें तैयार करवा के कर के भी मैं पार्टी में नहीं ले गया।
किन्तु मैं कितनी राहत महसूस कर रहा था यह बच्चो को क्या पता.....
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