Saturday, 15 April 2017

कमाई- कहानी


 रात धीर धीरे अपने यौवन की ओर कदम बढ़ा रही थी  , सड़क पर अब इक्का-दुक्का  तेज भागती मोटरगाड़ियों की हैडलॉट्स चकाचौंध ही दिख रही थी जो दूर से रौशनी बिखेरित हुई आती और पल भर में अँधेरे में गुम हो जातीं।

चार व्यक्ति  बड़े से पार्क के एक सूनसान कोने में बैठे शराब पीने मस्त थे । ये तीसरी बोतल खोली थी उन चारो की जो पी रहे थे  , बोतल खाली होने तक नशे में धुत्त हो झूमने लगे थे । खाली बोतल को पैग बनाने वाले शख्स ने लापरवाही से बोतल एक ओर फेंकी ,बोतल लुढ़कती हुई थोड़ी दूर पड़ी एक ईंट से टकराई तो 'टन्न' की आवाज़ हवा में  गूँज उठी ।

'टन्न' की आवाज़ जैसे ही अर्धनिन्द्रा में लेटी रूबी के कानों में पड़ी  तो उसकी आँख खुल गई  ,इधर उधर देखने के बाद उसे अहसास हुआ की आवाज़ पार्क में से आ रही थी उसे समझते देर न लगी  की यह आवाज शराब की खाली बोतल की ही थी। वह बुदबुदाई-

"खाली शराब की बोतल! यानी पांच रुपये की एक बोतल !! अगर दो हुई तो!! दस रुपये में बिक जाएँगी ।" ऐसा सोचते हुई वह झट से उठ बैठी उसने देखा की उसकी चाची-चाचा  अब भी सो रहे हैं।

रूबी, उम्र रही होगी 15 साल के करीब । पश्चिम बंगाल के 24 परगना की रहने वाली, बाप की मृत्यु बचपन में ही हो गई तो माँ ने ईंट भट्टे मज़दूरी कर के किसी तरह अपना और रूबी का पेट भरा ।
अभी पिछली साल माँ भी एक बीमारी में चल बसी तो रूबी बिलकुल अकेली हो गई, घर के नाम पर सिर्फ एक 10x10 की झोपड़ी थी ।

रूबी का इकलौता रिस्तेदार या यूँ कहिये की सहारा था उसका चाचा बदरू ,कई साल पहले गरीबी से तंग बदरू पश्चिम बंगाल छोड़ के दिल्ली काम की तलाश में आया तो कंही काम न लगा और न ही रहने की जगह मिली। कई दिनों तक यूँ ही भटकने के बाद कूड़ा बीनने का काम कर लिया फिर एक पार्क की दीवार से लगा अस्थाई झुग्गी बना ली ।ऐसा नहीं था कि वह अकेला था , उस जैसे कई परिवार वंही जुग्गी बना के रहते थे जिनमे से कुछ भीख मांगते तो कुछ कूड़ा बीनने का काम करते।कुछ दिनों बाद बदरू  अपनी पत्नी को भी ले आया ,अब दोनों कूड़ा बीनते और झुग्गी में बिजली न होने के कारण सड़क पर ही सो जाते।

रूबी बदरू के पास आ गई, चाचा चाची पर बोझ न बने इसलिए कूड़ा बीनने में मदद करने लगी।

आज भी सभी लोग सड़क पर ही सो रहे थे , बोतल की आवाज़ सुन रूबी उठी और बिना किसी बताये वह तेजी से पार्क के उस कोने में चल पड़ी जंहा से उसे खाली बोतल की आवाज़ सुनाई दी थी, वह जल्दी से बोतल उठा लेना चाहती थी की इससे पहले कोई और उठा ले ।

वह तेजी से उस जगह पहुँच गई जंहा बोतल पड़ी थी । इधर शराबियों ने जब रूबी के कदमो की आहट सुनी तो बैंच के पीछे छुप गएँ ,उन्होंने सोचा की शायद पुलिस है ।
फिर ,जब कूड़ा बीनने वाली लड़की को  बोतले बीनते हुए देखा तो उनकी आँखों में चमक आ गई । चारो में इशारे हुए और रूबी को किसी कबूतरी की तरह दबोच लिया गया ।

रूबी चीखना चाहती थी किन्तु दो मजबूत हाथ उसके मुंह पर ऐसे जम गए थे जैसे चिपका दिए गए हो।

चारो रूबी को खींच के कोने में ले गए और तन पर एक कपडे न छोड़े,  उनकी दरिन्दगी चरम पर थी ।एक एक कर के सभी ने बलात्कार किया , रूबी असहनीय दर्द और शरीर के घावों से कब की बेहोश हो चुकी थी ।


सुबह के चार बजने वाले होंगे , हल्का उजाला फैलने वाला ही था कि रूबी की बेहोशी टूटी । वह चीखती हुई उठ बैठी , देखा तो कोई नहीं था ।वो चारो जा चुके थे , फिर रूबी ने अपने शरीर पर न नजर डाली अनगिनत घाव थे यंहा तक की गुप्तांग से अब भी खून रिस रहा था । रूबी किसी तरह उठी और पास पड़ी अपनी फ़टी हुई सलवार- समीज को दर्द से कराहते हुए पहना और लड़खड़ाती हुई अपनी झुग्गी की तरफ चल दी।

रूबी ने देखा की अब भी उसकी चाची और चाचा सो रहे है , उसने झकझोर के अपनी चाची को जगाया । चाची को जगाते  ही रूबी फूट फूट के रोने लगी, चाची ने जब रूबी की दयनीय हालत देखी तो समझ गई की रूबी के साथ बहुत गलत हुआ है।
चीख पुकार सुन के बदरू भी जाग गया , उसने जब सारी बात सुनी तो रूबी पर ही बहुत गुस्सा हुआ गलियां देने लगा की उसे इतनी रात को पार्क में बोतल बीनने जाने की क्या जरूरत थी?

चाची ने किसी तरह बदरू को चुप करवाया और थाने जा के रिपोर्ट लिखनवाने को राजी किया । तीनो थाने पहुंचे तो सिपाही ने उन्हें  रोक लिया और आने का कारण जनाना चाहा ।
बदरू के बताने पर की रूबी के साथ बलात्कार हुआ है तो सिपाही बिफर गया और डांटते हुए बोला-
" साले ... भो@$# के ..... खुद धंधा करवाता है और पैसे न मिलने पर झूठी रिपोर्ट लिखवाने आ गया! .... भाग यंहा से "
" अरे साब! आप ऐसे कैसे कह रहे हैं ....."हम ऐसे आदमी नहीं है हमारी बच्ची के साथ सच में जबरजस्ती हुई है " बदरू ने गिड़गिड़ाते हुए कहा ।
" जबरजस्ती हुई है ! साले तेरी लड़की वंहा गई क्यों ? .... धंधा ही करने गई थी न !वो उठा के ले तो गए नहीं थे तेरी लड़की को .... सब समझता हूँ तुम जैसे लोगो की चाल.... तेरी झोपडी पट्टी की सब लड़कियां ऐसे ही करती है .... साले बांग्लादेशी है न तू? अभी सुबह सुबह साहब का दिमाग मत खराब कर वर्ना तुझे ही अंदर कर दूंगा" सिपाही ने इस बार कड़ी चेतावनी जारी कर दी।

सिपाही द्वारा बेज्जती करने के बाद तीनों वँहा से निराश हो अपनी झुग्गी में आ गएँ ।

कुछ महीने बाद रूबी गर्भवती हो गई, बदरू और उसकी पत्नी बड़े दुखी हुए। बदरू रोज रूबी को कोसता,उसकी पत्नी भी रूबी से नाराज रहती । एक दिन बदरू की पत्नी यनीं रूबी की चाची ने रूबी का गर्भपात का निश्चय किया और इस की सलाह लेने के लिए वह अपनी एक पड़ोसन के पास पहुंची ।

पड़ोसन ने जब रूबी के बारे में सुना तो उसने खुश होते हुए कुछ समझाया रूबी की चाची को जिससे सुन रूबी की चाची भी खुश हो गई। घर आके  जब उसने पड़ोसन की सलाह बदरू को सुनाई तो वह भी खुश हो गया।

उस दिन के बाद बदरू और उसकी पत्नी ने रूबी से कुछ नहीं कहा बल्कि उसका  गर्भपात न करवाने के लिए भी राजी हो गएँ।

रूबी की चाची ने रूबी को समझाते हुए कहा - देख रूबी अब जो गया सो हो गया .... इसमें बच्चे की क्या गलती? तू बच्चे को जन्म..हम पालेंगे बच्चे को... बच्चे तो ऊपरवाले की देन होते हैं ... यंहा कौन से हमारे रिस्तेदार हैं जो हमारी बदनामी होगी?"

रूबी ने जब यह सुना तो अपने चाचा-चाची की नेकदिली पर उसे ख़ुशी हुई।


थोड़े  महीने बाद रूबी ने एक बच्चे को जन्म दिया , बदरू और उसकी चाची बहुत प्रसन्न हुए ।

कुछ दिनों बाद रूबी को अपने बच्चे के साथ रेडलाइट पर भीख मांगते हुए देखा गया । उसकी चाची की पड़ोसन ने यही समझाया था कि आज कल किसी लड़की की गोद में बच्चा हो तो लोग सहानभूति से अधिक भीख देते हैं।

अब रूबी कूड़ा बीनने से अधिक कमा ले रही थी, बदरू और उसकी पत्नी की 'कमाई' बढ़ गई थी।

बस यंही तक थी कहानी.....

फोटो साभार गूगल-

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