कई सालों पहले मैं दोस्तों के साथ राजस्थान के मेंहदीपुर बाला जी के मंदिर में गया था , उसकी मान्यता यह बताई जाती है कि उस मंदिर में ' ऊपरी हवाओं' जैसे भूत प्रेत आदि का इलाज होता है।
जिज्ञासावश मैं भी चला गया था कि देखूं आखिर भूत प्रेत होते कैसे हैं?
मंदिर में बहुत दूर दूर के लोग आये हुए थे, भूत प्रेत से बाधित मरीज़ो का परिसर अलग था । जंहा कई भूत प्रेत से पीड़ित मरीजों को बांध के भी रखा गया था , ख़ास बात यह थी की वंहा महिला मरीज़ो की संख्या बहुत अधिक थी। एक महिला जोर जोर से चिल्लाने लगी तो एक सेवादार आया और महिला को उसके बालों से पकड़ के बुरी तरह पीटने लगा था । कोई उस सेवादार को नहीं रोक रहा था , न मंदिर में दर्शन के लिए आये लोग और ना ही कोई अन्य मंदिर का कर्मचारी। महिला को बुरी तरह पीटने के बाद सेवादार चला गया ,महिला कभी रोती तो कभी और जोर से चीखने लगती। साफ़ जाहिर था कि वह किसी मनोरोग से पीड़ित थी न की किसी भूत प्रेत से।
वंहा मरीज़ो की संख्या बहुत अधिक थी, इतनी की कई मनोरोगी मंदिर के पास वाली पहाड़ी पर भी थे जो अजीब अजीब हरकते कर रहे थे ,जैसे पेट पर बड़ा सा पत्थर रख के लेटना, कूदना , आसमान की तरफ देख कर जोर जोर से चीखना आदि। 99% यंहा आने वाले भूत प्रेत से पीड़ित परिवार या तो गरीब परिवार से थे या मध्यवर्गीय परिवार से जो या तो पैसे के आभाव में मरीज का साइकैट्रिस्ट से नहीं करवा पाएं या अत्याधिक धार्मिकता और अंधविश्वास के चलते यंहा छोड़ के चले गएँ।
यंहा आने वाले मरीजों में मनोरोगी होने का प्रत्यक्ष आभास और प्रमाण मिल जाता है , किन्तु कई मरीज ऐसे होते हैं जिनका आभास आस पास के लोगो को नहीं हो पाता।ये मनोरोगी प्रत्यक्ष रूप से सामान्य नजर आते हैं , अत्याधिक धार्मिक या सन्वेदनशील हो सकते हैं जिसे लोग नजरन्दाज कर देते है।
आपने कई ऐसे लोग देखें होंगे जो भगवान् या अन्य किसी आत्मा आदि से बाते करने का दावा करते हैं, अपनी चमत्कारिक शक्तियों से लोगो के कष्ट दूर करने का दावा करते हैं ।
बुराड़ी में हुई 11 सदस्यों की सामूहिक आत्महत्या वाले केस में भी ऐसा ही हुआ, पुलिस का दावा है कि ललित जो अत्याधिक धार्मिक प्रवृत्ति का था उसे सपने में उसके मृत पिता जी आते थे और निर्देश देते थे।उन निर्देशों को वह रजिस्टर पर उतार लेता था। ठीक ऐसे ही संजय दत्त की एक फिल्म भी आई थी जिसमे वह गाँधी जी को देखने की बात करता है और उनसे बाते करने का दावा भी।
ललित अपने पिता की आत्मा से जो बातें करता उन्हें पूरे परिवार के एक जगह बैठा के सुनाता। परिवारवाले ललित को चमत्कारिक शक्तियों वाला समझते थे और वही सभी फैंसले लेता था। पिता की आत्मा जो निर्देश देती थी उसे वह रजिस्टर में उतार लेता था। भागवान से मिलने और मोक्ष् प्राप्त करने की बात भी उससे पिता की आत्मा ने ही निर्देश दिया था ,जिसके कारण पूरा परिवार फंदे पर लटक गया।
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ललित शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर का शिकार था , इस बीमारी में मरीज को लगता है कि वह किसी मृत व्यक्ति से बात कर रहा है। जैसा संजय दत्त उस मूवी में गांधी जी आत्मा से बात करता है, ऐसे ही ललित अपने पिता की आत्मा से बात करता है। इस बीमारी में मरीज के शरीर में अचानक बदलाव आते हैं और उसकी आवाज़ वा आवभाव बदल जाते हैं ।देखने में ऐसा लगता है जैसे उस पर कोई आत्मा या भूत प्रेत आ गया हो। इस बीमारी का इलाज संभव है किंतु लोग इसे आत्मा आदि का किया मान के इलाज नहीं करवाते और अंधविश्वास के जाल में फँसते रहते हैं।
आप शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर के बारे में यंहा पढ़ सकते हैं-
https://www.webmd.com/schizophrenia/guide/shared-psychotic-disorder
वेदो के रचनाकारों को 'दृष्टा' कहा गया है , जिन्होंने दावा किया था कि उन्होंने ईश्वर की को देखा और उसकी वाणी सुन वेदों की रचना की ।
मुहम्मद साहब को भी जीब्रील नाम का फरिश्ता दिखाई देता है और वे उसकी बातों को वैसे ही कुरआन के रूप में दर्ज करते हैं जैसे की ललित अपने पिता की आत्मा के निर्देश पर रजिस्टर.... तो आप समझ ही गए होंगे धर्म- मज़हब की कहानी...
मुक्त होइये ऐसे शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर द्वारा लिखे गए रिस्टर्स से
फोटो साभार गूगल-
No comments:
Post a Comment