Thursday, 11 December 2014

कैसे होगी भारत की शिक्षा अन्धविश्वास मुक्त?



आप सुबह उठिए अखबार खोलिए या टीवी आपको ' भविष्य ' बताने वाले जरुर मिलेंगे।
हर अखबार में एक कोना होता है भविष्य बताने के का जिसमें लोगो की नाम राशियों के अनुसार उनके दिन या सप्ताह के भविष्य के बारे में बताया जाता है ।
आप सुबह सुबह टीवी खोलिए हर चैनल पर एक बाबा टाइप का व्यक्ति लोगो के भविष्य के बारे में बोलता हुआ नजर आएगा।

मुझे सबसे बड़ा आस्चर्य यह लगता है की यही टीवी अखबार वाले उस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं जब कोई बाबा लोगो को मुर्ख बना के उन्हें अपने जाल में फसा लेता है , जैसे की निर्बल बाबा, रामपाल, आशाराम आदि पर यही टीवी अखबार वाले खुद भविष्यवाणियो के नाम पर जम के अंधविश्वास परोसते हैं ।

फलित ज्योतिष अर्थात  हाथ / माथा/ जन्मपत्री आदि के माध्यम से किसी का भविष्य बताना सबसे बड़ी धूर्तता है । ये फलित ज्योतिष बताने वाले अपनी ठग विद्या से खगोल शास्त्र का नाम लेके फलित ज्योतिष शास्त्र की दूकान चलाते हैं इसी भविष्य वाचाकता के चलते इनका नाम ' देवज्ञ' भी पड़ा।

आज ज्योतिषीय अन्धविश्वास यंहा तक बढ़ गया है कुछ लोग बच्चे के उज्वाल भविष्य के नाम पर कथित ' शुभ महूर्त' में समय से पहले ही सिजेरियन द्वारा प्रसव कराने लगे हैं। कैसी विडंबना है यह की पहले बच्चे के पैदा होने के बाद उसकी जन्म पत्री ज्योतिष ठग बनाता था अब पैदा होने से पहले ही बनाने लगे।

ऐसा नहीं है की इन फलित ज्योतिष ठगों जो इंसान के भविष्य में होने वाली घटनाये और उनके उपाय बताते हैं ,उनके झूठो के विरोध मे किसी ने आवाज नहीं उठाई।
समय समय पर इन फलित ज्योतिष ठगों के विरुद्ध निडर बुद्धिजीविओ ने आवाज उठाई है , इन ठगों पर प्रहार करते हुए लिखा है-


" व्योग्न दुरे स्थिताना ..... .... देवाग्यो जानाति स:"

अर्थात- आकाश में दूर स्थित ग्रहों के अच्छे बुरे को बताने वाले दैवज्ञ को यह पता नहीं होता की घर में उस की पत्नी किस से अवैध संबंध स्थापित किये हुए है।

इसी प्रकार भोजप्रबन्ध के लेखक ने इन भाग्य बताने वाले  फलित ज्योतिषो को झूठा कहा है-

" त्रैलोक्यगाथो रमोड़स्ति......... बिरिंचिवचन वृथा ( भोजप्रबन्ध, श्लोक  20-21)

अर्थात- राम तीनो लोक के राजा थे और वशिष्ठ ब्रह्मा के पुत्र, उस वशिष्ठ ने राम के राज्याभिषेक के अवसर पर मुहूर्त निकाला था, लेकिन उस ' अतिशुभ'  मुहूर्त के परिणाम स्वरूप राम को अपना राज्य छोड़ कर वन जाना पड़ा । सीता का अपहरण हुआ और ब्रह्मा के पुत्र का वचन झूठा सिद्ध हुआ।



पर चुकी इन धूर्त देवज्ञो की संख्या ज्यादा होने के कारण और सत्ता में पहुच होने के कारण इन्होने अपने विरोधी लोगो को जो इनकी पोल खोल रहे थे उन्हें हटा दिया, और अपने विरोधी शास्त्रों को जनमानस में पनपने नहीं दिया।

तो, मित्रो कहने को तो बहुत सी बाते हैं पर आप बस इतना समझ लीजिये की जो भी फलित ज्योतिष अर्थात किस्मत बताने वाले एक ठग हैं । ये सिर्फ धोखा देते हैं और अन्धविश्वास फैलाते हैं।

इनके धोखे में गरीब और अनपढ़ ही नहीं बड़े बड़े उद्योगपति, नेता, नेत्री,अभिनेता , अभिनेत्री आदि भी आ जाते हैं।

पर यह विचार करने की बात है की जिस देश की शिक्षा मंत्री फलित ज्योतिषो से अपना भाग्य जंचवाती हो उस देश की शिक्षा का क्या ह्रस होगा?

No comments:

Post a Comment