Saturday, 20 December 2014

जानिए किसे कहते हैं संत



मित्रो , आपने ' संत' शब्द का संबोधन सुना ही होगा और कई बार प्रयोग भी किया होगा । अधिकतर किसी ' धार्मिक' या ' सामजिक' विचार वाले को ' संत' की उपाधि दे दी जाती है जैसे संत कबीर दास , संत रैदास , संत दादू, आदि।
पर तुलसी दास जी के अनुसार जो लोग तथाकथित नीच समझी जाने वाली जातियों से हैं जैसे तेली, कुम्हार, चाण्डाल, चर्मकार, भील , कोल, कलवार, कीरत अदि अधम जातियों में जन्मे लोग ही संत कहलाते हैं ।

तुलसी दास जी के अनुसार इन तथाकथित नीची जातियों में जन्मे लोग पुराणों,वेदों आदि ब्रह्मणिक ग्रंथो की प्रमाणिकता में विश्वास नहीं रखते , इन्हें संत कहा जाता है -

मिश्यारन्भ दंभ रत जोई।
ता कंहू संत कहई सब कोई।।

देखा जाये तो तुलसी दास जी का कथन सही भी लगता है क्यों की आज या उस समय जी लोगो को संत कहा जाता  था अधिकतर वे तथाकथित अधम जाती के ही थे और ब्रह्मणिक ग्रंथो को मानने से इंकार करते थे।

कबीर दास जुलहा जाति के थे जो जिसके पिता या दादा हाल ही में योगी जाति या सिद्ध जाति से जुलाहे बने थे ।

रैदास जी भी चर्मकार जाति से थे ।
संत सेन नाई जाति से थे ।
संत दादू धुनिया जाति के थे ।
कश्मीर की विख्यात महिला संत लल्ला देढ्वा मेहतर जाति की थीं।

संत शब्द का उपयोग आज बेशक कई ऊँची जातियों के लोगो के लिए  किया जाता हो पर आरंभ मे ये नीची जातियों के लिए ही प्रयोग किया जाता था , पर आज कुछ जातियां जो ऊँची कहलाती हैं वे आरम्भ में नीची ही समझी जाती थी ।

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