Saturday, 30 September 2017

ताम्र(खनिज) और लंका पर आक्रमण-

  श्रीलंका का प्रचीन नाम ताम्रपर्णी था, ताम्रपर्णी का अर्थ होता है तांबे का पत्ता या थाल । निस्चय ही तांबे/कांस्य जैसे खनिज की अधिकतम मात्र की उपस्थित अथवा तांबे/ कांस्य को कच्चे माल को उत्पादन की प्रमुखता के कारण यह नाम दिया गया होगा।


जैसा की इतिहासकारो ने सिद्ध किया है कि सिंधु सभ्यता कांस्ययुगी सभ्यता था ।कांसा तांबे और अन्य धातुओं के मिश्रण से तैयार होता है ,सिंधु सभ्यता के लोगो ने तांबे को कांस्य के रूप में प्रयोग कर अधिक मजबूत औजार और घरेलू बर्तन बनाना सीख लिया अतः सिन्धु सभ्यता का व्यापारिक सम्बन्ध मिश्र , मेसोपोटामिया ,ईरान जैसे देशों से हो गया था । यह यह मुख्य बिंदु है कि  सिन्धु सभ्यता के उत्खनन में 'हथियार' नहीं मिले हैं जबकि मोहरे,मूर्तियां, आभूषण आदि पर्याप्त मात्रा में मिले हैं अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि हड़प्पाई संस्कृति हथियारों और युद्ध से अनभिज्ञ थी।

ऋग्वेद में वैदिक प्रमुख इंद्र ऐसे लोगो से संघर्ष करता है है जो अवैदिक हैं और नगरों में रहते हैं। राजा शंबर के सौ नगरों को आसानी से नष्ट कर देता है, ठीक ऐसे जैसे किसी मिट्टी के घर को । डी डी कोसंबी जी एक टिप्पणी गौर करने लायक है "ऋग्वेद में इंद्र द्वारा शत्रुओ के नगरों को नष्ट करना और आसानी से शत्रुओं को मार देना बिना किसी विशेष संघर्ष के यह ओजस्वी भाषा हड़प्पा में घटित किसीं वास्तविक संघर्ष का परिचारक है"।

ऐसा क्या हुआ की हड़प्पाई लोग अपने हमलावर  शत्रुओं  आसानी से हार जाते हैं? ऐसा इसलिये हुआ होगा की हमलावरों के मुकावले उनके हथियार बेकार और अत्यंत कमजोर साबित हुए होंगे। ठीक ऐसे समझिये की जैसे बाबर के तोप के  गोलों और बंदूकों के आगे पुरातन ज़माने के तीर - धनुष और भाले लिए भारतीय सेना हार जाती है।


 हड़प्पा संस्कृति पर आक्रमण केवल राज्य विस्तार भर न था बल्कि खनिजों पर आधिपत्य जमाना था । खनिज भंडारों पर अपना कब्जा जमाने के साथ साथ व्यापार को भी अपने कब्जे में लेना था। यूँ समझिये की जैसे आज भी सरकारे आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अपने कब्जे में कर खनिज पदार्थो के लिए आदिवासी लोगो को उनकी जमीनों से भगा देती आ रही हैं।

तो प्रबल संभवना रही  होगी की ताम्रपर्णी यनीं लंका अपने तांबे जैसे खनिज पादर्थो के निर्यात के कारण बहुत  समृद्ध हो गई थी  और इन्ही खनिज भंडारों पर अधिकार करने के लिए लंका पर चढ़ाई की गई हो ?  ऋषि लोग इन्ही खनिजों की तलाश में अपनी  कुटिया और आश्रम जंगलो में बनाते रहे होंगे और खनिजों के भंडार मिलने पर राजाओं को सूचना देते होंगे।
चुकी तांबे को गलाने पर यह सोने के पीले रंग से मिलता जुलता हो जाता है और नगर बनाने में इसका प्रयोग बहुतायत किया गया हो अतः लंका को ' स्वर्ण नगरी' कहा जाता रहा होगा। ठीक ऐसे ही जैसे जयपुर  के भवनों पर गुलाबी रंग का अधिक प्रयोग करने के कारण इसको गुलाबी नगर/पिंक सिटी भी कहा जाता है ।

रावण उसी तरह अपने खनिज संपदा की रक्षा कर रहा हो जैसे आदिवासी लोग अपने जंगलो की करते हैं। वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में लंका को जींतने के बाद राम जी कहते हैं कि उन्होंने यह युद्ध सीता जी को जींतने के लिए नहीं किया है, यदि सीता जी के लिए युद्ध नहीं था तो किसके लिए युद्ध किया था? जाहिर सी बात थी लंका पर आधिपत्य के लिए , लंका पर आधिपत्य का अर्थ था वँहा के तांबे जैसे विशाल खनिजों के स्रोतों पर अधिकार करना। अतः रामायण का काल चाहे कुछ भी रहा हो किन्तु हम कह सकते हैं कि वह इसका युद्ध का मुख्य कारण खनिजों पर अधिकार के लिए रहा होगा?

No comments:

Post a Comment