अच्छा! क्या आपको लगता है कि चक्र एक अच्छा हथियार हो सकता है? फिर कृष्ण ने ऐसा हथियार क्यों चुना जो अच्छा नहीं था ? कंही चक्र को जानबूझ के है 'हथियार ' तो नहीं बनाया गया है ?
यदि चक्र को हथियार के रूप में हम देखते हैं तो किंदवंतियो और कथाओं में कृष्ण ही एक अकेले ऐसा पात्र लगते हैं जो चक्र का इस्तेमाल करते हैं । कृष्ण के चक्र का नाम सुदर्शन था जिसका अर्थ होता है 'दिखने में अच्छा' या ' जिसको देख के अच्छा लगे' , क्या हथियार को देख के किसी को अच्छा लग सकता है ? हरगिज नहीं! हथियार तो संहारक होता है ,मृत्यु लाता है , भय लाता है । फिर कैसे वह 'सुदर्शन' हो सकता है?
इतिहास में बुद्ध के साथ भी चक्र जुड़ा हुआ है , बुद्ध ने धम्म चक्र ( धम्म चक्क -पवत्तन) चलाया था जिसके द्वारा आधी दुनिया में बौद्ध धम्म फैला दिया । उनके धम्म चक्र के दर्शन इतने सु-दर्शन थे की लोग अनायास ही खिंचे चले आते थे ।
कंही बुद्ध का ही धम्म चक्क ही तो कृष्ण का सुदर्शन चक्र तो नहीं था?
कृष्ण के भाई बलराम जिसे शेषनाग का अवतार समझा जाता है वह द्योतक है कि कृष्ण का नागों से घनिष्ठ सबंध था।
बुद्ध का भी आदिवासी नाग जाति से घनिष्ठ उन्होंने नागों को अपने धर्म में दीक्षित किया । मुचलिन्द नाम के नाग जाति के व्यक्ति ने उनकी प्रकृतिक के प्रोकोप से उनकी रक्षा की थी। नालन्दा और संकस्या जैसे प्रमुख बौद्ध विहारों में नागों के प्रति विशेष श्रद्धा रखी जाति थी और इनका उत्थान नाग पूजा स्थलों से हुआ था।
कंही बुद्ध के प्रिय नागजाति के मुचलिन्द ही तो बलराम नहीं थे?
कृष्ण के जीवन के अंतिम समय उनके अपने सगे संबंधियों यानि यदुवंश का नाश हो जाता है ,कौरव सहित सभी सगे सम्बन्धिय युद्ध में मारे जाते हैं । कृष्ण बिलकुल अकेले किसी अज्ञात जगह पर अपनी जीवन लीला समाप्त करते हैं।
बुद्ध की मृत्यु भी एक गुमनाम देहात में हुई ,परिचारिका के लिए केवल एक भिक्षु उनके साथ था ।उस समय तक युद्ध में उनके सगे संबंधियों यानि शाक्य काबिले का नाश हो चुका था । उनके दोनों सरंक्षक राजाओं की दयनीय स्थति में मृत्यु हो चुकी होती है। जैसे कृष्ण के हितैषी कौरव और पांडवो की ।
कंही बुद्ध को ही कृष्ण का चोंगा तो नही पहना दिया गया ?
क्या कहते हैं आप सब?
अगले लेख में कुछ और रोचक तथ्यों के साथ ...
यदि चक्र को हथियार के रूप में हम देखते हैं तो किंदवंतियो और कथाओं में कृष्ण ही एक अकेले ऐसा पात्र लगते हैं जो चक्र का इस्तेमाल करते हैं । कृष्ण के चक्र का नाम सुदर्शन था जिसका अर्थ होता है 'दिखने में अच्छा' या ' जिसको देख के अच्छा लगे' , क्या हथियार को देख के किसी को अच्छा लग सकता है ? हरगिज नहीं! हथियार तो संहारक होता है ,मृत्यु लाता है , भय लाता है । फिर कैसे वह 'सुदर्शन' हो सकता है?
इतिहास में बुद्ध के साथ भी चक्र जुड़ा हुआ है , बुद्ध ने धम्म चक्र ( धम्म चक्क -पवत्तन) चलाया था जिसके द्वारा आधी दुनिया में बौद्ध धम्म फैला दिया । उनके धम्म चक्र के दर्शन इतने सु-दर्शन थे की लोग अनायास ही खिंचे चले आते थे ।
कंही बुद्ध का ही धम्म चक्क ही तो कृष्ण का सुदर्शन चक्र तो नहीं था?
कृष्ण के भाई बलराम जिसे शेषनाग का अवतार समझा जाता है वह द्योतक है कि कृष्ण का नागों से घनिष्ठ सबंध था।
बुद्ध का भी आदिवासी नाग जाति से घनिष्ठ उन्होंने नागों को अपने धर्म में दीक्षित किया । मुचलिन्द नाम के नाग जाति के व्यक्ति ने उनकी प्रकृतिक के प्रोकोप से उनकी रक्षा की थी। नालन्दा और संकस्या जैसे प्रमुख बौद्ध विहारों में नागों के प्रति विशेष श्रद्धा रखी जाति थी और इनका उत्थान नाग पूजा स्थलों से हुआ था।
कंही बुद्ध के प्रिय नागजाति के मुचलिन्द ही तो बलराम नहीं थे?
कृष्ण के जीवन के अंतिम समय उनके अपने सगे संबंधियों यानि यदुवंश का नाश हो जाता है ,कौरव सहित सभी सगे सम्बन्धिय युद्ध में मारे जाते हैं । कृष्ण बिलकुल अकेले किसी अज्ञात जगह पर अपनी जीवन लीला समाप्त करते हैं।
बुद्ध की मृत्यु भी एक गुमनाम देहात में हुई ,परिचारिका के लिए केवल एक भिक्षु उनके साथ था ।उस समय तक युद्ध में उनके सगे संबंधियों यानि शाक्य काबिले का नाश हो चुका था । उनके दोनों सरंक्षक राजाओं की दयनीय स्थति में मृत्यु हो चुकी होती है। जैसे कृष्ण के हितैषी कौरव और पांडवो की ।
कंही बुद्ध को ही कृष्ण का चोंगा तो नही पहना दिया गया ?
क्या कहते हैं आप सब?
अगले लेख में कुछ और रोचक तथ्यों के साथ ...
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