Sunday, 25 March 2018

स्त्री ,तंत्रवाद और ईश्वर

इतिहासकार जोसेफ नीधम ने यह सिद्ध किया है कि विश्व के प्राचीनतम इतिहास में धार्मिक कार्यो और पूजा अर्चना या जादू टोना का कार्य पुरुषो की वजाय स्त्रियों की थी और बाद में यह काम पुरुष पुजारिओं ने हथिया लिया।

इस ऐसे कार्य के लिए जोसेफ, डुइड लोगो का उदहारण देते हैं, इस बात का ताजा प्रमाण की डुइड लोगो ने जादू- टोने के काम से स्त्रियों को हटा दिया और स्वयं यह कार्य करने लगे ।

चुकी कृषि की खोज स्त्रियों ने की थी और कृषि से ही जादू टोने का आरम्भ हुआ था इसलिए जैसे जैसे कृषि पर पुरुषो का आधिकर होता गया वैसे वैसे अनुष्ठानों पर भी पुरुषो का आधिकर होता गया।
देवियों की तुलना में देवता हावी होने लगे और पुरुष भी महान ओझा या जादूगर बन गएँ।

कुछ उदहारण देते हुए जोसेफ कहते हैं, पातागोनिया में पुरोहिताई के कार्य करने वाले लोगो को एक प्रकार से अपना लिंग त्याग देना पड़ता है और स्त्रियों जैसे कपडे पहनने होते हैं।

बोर्निया की डायाक जनजाति के पुरुष जो जादू टोने या धार्मिक अनुष्ठान करते थे स्त्रियों के कपडे पहनने के लिए बाध्य होते थे।

जुलू सरदार वर्षा लाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करते है तो वे स्त्रियों के पेटीकोट पहनते हैं।

मेडागास्कर में पुजारी स्त्रियों के कपडे पहनते हैं।

अमेरिका में यह नियम रेड इंडियंस और मैस्को की जनजातियों में पाया जाता है।

भारत के तेलगुभाषी प्रदेश में ग्विचिवाड़ में जब कोई पुजारी धार्मिक क्रिया करने लगता है तो वह स्त्रियों के कपडे पहनता है।

बंगाल में जादू- टोने / धार्मिक अनुष्ठान  क्रियाये महिलाओं द्वारा सम्पन्न होते हैं।

पुष्टि के लिए यह खबर पढ़िए-

http://m.indiatoday.in/story/in-a-unique-tradition-men-dressed-up-as-women-in-kerala-for-a-religious-celebration/1/306710.html

कृषि के आरम्भ में इसे करने वाली स्त्रियों को यह पता नहीं था कि धरती से पौधे वास्तव में कैसे उगते हैं, उनके लिए बुआई से लेके कटाई तक की सारी प्रक्रिया बहुत रहस्यपूर्ण थी । इसके अलावा उनके पास कृषि तकनीक बिलकुल नहीं थी जिससे अच्छी फसल होने की सम्भवना अनिश्चित थी , इसलिए कृषि कार्य के लिए बहुत धैर्य, दूरदर्शिता और विश्वास की जरूरत होती थी और यही सब कारक थे जादू टोने और धार्मिक अनुष्ठानों की उत्पत्ति के ।

जादू टोना या धार्मिक अनुष्ठान उनकी मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं पूरी करता था ,यह विश्वास उत्पत्न करता था बेशक वह विश्वास काल्पनिक और भ्रमपूर्ण था ।

वे अपने मनोरथ की काल्पनिक सृष्टि करते थे किंतु वास्तव में इसका प्रभाव वास्तविक परिस्थियों पर नहीं पड़ता था परंतु काल्पनिक सृष्टि करने वालो को यह काफी प्रभावित कर सकता था और आज भी करता है।

जादू टोना, धार्मिक अनुष्ठान एक तरह से अज्ञान ही थे ,किन्तु इतना अवश्य था कि ये सब कार्ता को मनोवैज्ञानिक काल्पनिक सबलता देते थे । अच्छी फसल का विश्वास बढ़ाते थें , इच्छापूर्ति का काल्पनिक विश्वाश दिलाते थें।

और आज भी दिला रहे हैं....ईश्वर के अस्तित्व का कारण भी वही काल्पनिक मनोवैज्ञानिक विश्वास थे....है...




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