" इत्ती जल्दी जल्दी कँहा भागे जा रहे हो केशव बाबू?" पांडे जी ने अचानक सामने प्रकट होते हुए कहा ।
"नमस्कार शर्मा जी ! दुकान पर ही जायेंगे और कँहा ठिकाना है " केशव ने मुस्कुराते हुए कहा ।
"नमस्ते !... हमने सुना है कि आज कल नास्तिकता का बहुत जोर से प्रचार कर रहे हो" मुंह में भरे गुटखे की पीक से बगल में खड़े बिजली के खम्बे को कलात्मक लाल रंग देते हुए कहा पांडे जी ने ।
उनकी बात सुन केशव मुस्कुरा दिया ।
" अरे मुस्कुराइये नहीं..... जबाब दीजिये, का भगवान् पर बिलकुलअ विस्वास नहीं करते हो?.... देवी देवता कौनो पर तनिक भी विस्वास नाही? " पांडे जी ने उत्सुकता से पूछा।
केशव फिर मुस्कुराया और बोला " आप करते हैं क्या?"
"ये लो! काहे नहीं करते हैं !..... हम सबसे ज्यादा विस्वास भगवान् पर ही करते हैं.... इंहा तक की अपने से भी ज्यादा ...... विस्वास का नाम ही तो भगवान् ईश्वर है । आदमी को विस्वास होना चाहिए भगवान् उसे स्वयं ही अपना लेते हैं" पांडे जी ने अब लंबी जिरह के मूड में लग रहे थे ।ऐसा लग रहा था कि वो पूरी तैयारी कर के आएं है जिरह करने ।
" तो आप बहुत विश्वास करते हैं ईश्वर पर ? " केशव ने फिर पूछा।
"ये लो! अभी कहे तो हैं कि पूरा विस्वास है हमें ईश्वर पर ।ई दुनिया ईश्वर के विस्वास पर ही तो चल रही है .... शास्त्रों में लिखा है कि दुनिया में सब झूठ है बस एक ईश्वर ही सत्य है ....यो भूतं च भव्य च सर्व यश्चाधितिष्ठति। स्वर्यस्य च केवलं.... इस पुरे ब्रह्माण्ड में केवल वही परमात्मा है ..." पांडे जी ने अब मुंह में दबाये गुटखे को पूरी तरह उगलते हुए कहा ।ऐसा लग रहा था कि वे आज ठान के ही आये थे की वे अपने ज्ञान की गोलियों से छलनी कर ही देंगे।
" हरि पर विस्वास से ही तो जीत होती है , अब देखो प्रह्लाद ने ईश्वर पर विश्वास किया था तो ईश्वर ने उसे मृत्यु से बचा लिया था ..... ईश्वर पर विस्वास करो तो चमत्कार होते हैं... तुम्हारी तरह नहीं की बस कह दिया की ईश्वर नहीं है और सब खत्म" पांडे जी ने व्यंगात्मक लहजे में कहा और मुस्कुरा दिए।
" तो पाण्डे जी आपको अपने ईश्वर पर बहुत विश्वास है ?" केशव ने फिर पूछा।
"अबे एक ही प्रश्न काहे दोहरा रहे हो बार बार ? कह तो दिया अथाह और अडिग विश्वास है ईश्वर पर" पाण्डे जी ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा ।
" गुस्सा न होइये बस ऐसे ही पूछ रहे हैं..." केशव ने मुस्कुराते हुए कहा।
"4 दिन बाद होली है पांडे जी .... ऐसा कीजिये की इस बार आप अपने अडिग विश्वास के साथ होलिका में बैठ जाइए ... देखिये की आप का विश्वास पक्का है कि नहीं और जैसे हरि ने प्रह्लाद को बचाया था उसके विश्वास के कारण वैसे आपको आपके ईश्वर बचाते हैं कि नहीं !..... यदि आप को आपके ईश्वर ने बचा लिया तो पूरी दुनिया में आपका नाम हो जायेगा और लोग फटा फट आस्तिक बन जायेंगे... आस्तिक ही क्या वो हिन्दू बन जायेंगे.... सोचिये पूरी दुनिया आपके इस कृत्य से आस्तिक बन जायेगी..... आप बैठिए इस बार होलिका में और साबित कर दीजिये अपने ईश्वर के विश्वास को....मैं अभी मिडिया वालो को बुलाता हूँ आपके इस महान विश्वास के प्रदर्शन के लिए ... आपका कितना नाम हो जायेगा दुनिया में .. " केशव ने गंभीर किन्तु मुस्कुराते हुए कहा ।
पाण्डे जी के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थीं.... उन्होंने गले में लटके गमछे से मुंह पोछा और कुछ देर खामोश रहने के बाद हड़बड़ाते हुए जेब से फोन निकाला और कान पर लगाते हुए बोले।
" ठीक है ! आ रहा हूँ बस रास्ते में ही हूँ"
इतना कह वे तेजी से निकल गएँ।
"नमस्कार शर्मा जी ! दुकान पर ही जायेंगे और कँहा ठिकाना है " केशव ने मुस्कुराते हुए कहा ।
"नमस्ते !... हमने सुना है कि आज कल नास्तिकता का बहुत जोर से प्रचार कर रहे हो" मुंह में भरे गुटखे की पीक से बगल में खड़े बिजली के खम्बे को कलात्मक लाल रंग देते हुए कहा पांडे जी ने ।
उनकी बात सुन केशव मुस्कुरा दिया ।
" अरे मुस्कुराइये नहीं..... जबाब दीजिये, का भगवान् पर बिलकुलअ विस्वास नहीं करते हो?.... देवी देवता कौनो पर तनिक भी विस्वास नाही? " पांडे जी ने उत्सुकता से पूछा।
केशव फिर मुस्कुराया और बोला " आप करते हैं क्या?"
"ये लो! काहे नहीं करते हैं !..... हम सबसे ज्यादा विस्वास भगवान् पर ही करते हैं.... इंहा तक की अपने से भी ज्यादा ...... विस्वास का नाम ही तो भगवान् ईश्वर है । आदमी को विस्वास होना चाहिए भगवान् उसे स्वयं ही अपना लेते हैं" पांडे जी ने अब लंबी जिरह के मूड में लग रहे थे ।ऐसा लग रहा था कि वो पूरी तैयारी कर के आएं है जिरह करने ।
" तो आप बहुत विश्वास करते हैं ईश्वर पर ? " केशव ने फिर पूछा।
"ये लो! अभी कहे तो हैं कि पूरा विस्वास है हमें ईश्वर पर ।ई दुनिया ईश्वर के विस्वास पर ही तो चल रही है .... शास्त्रों में लिखा है कि दुनिया में सब झूठ है बस एक ईश्वर ही सत्य है ....यो भूतं च भव्य च सर्व यश्चाधितिष्ठति। स्वर्यस्य च केवलं.... इस पुरे ब्रह्माण्ड में केवल वही परमात्मा है ..." पांडे जी ने अब मुंह में दबाये गुटखे को पूरी तरह उगलते हुए कहा ।ऐसा लग रहा था कि वे आज ठान के ही आये थे की वे अपने ज्ञान की गोलियों से छलनी कर ही देंगे।
" हरि पर विस्वास से ही तो जीत होती है , अब देखो प्रह्लाद ने ईश्वर पर विश्वास किया था तो ईश्वर ने उसे मृत्यु से बचा लिया था ..... ईश्वर पर विस्वास करो तो चमत्कार होते हैं... तुम्हारी तरह नहीं की बस कह दिया की ईश्वर नहीं है और सब खत्म" पांडे जी ने व्यंगात्मक लहजे में कहा और मुस्कुरा दिए।
" तो पाण्डे जी आपको अपने ईश्वर पर बहुत विश्वास है ?" केशव ने फिर पूछा।
"अबे एक ही प्रश्न काहे दोहरा रहे हो बार बार ? कह तो दिया अथाह और अडिग विश्वास है ईश्वर पर" पाण्डे जी ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा ।
" गुस्सा न होइये बस ऐसे ही पूछ रहे हैं..." केशव ने मुस्कुराते हुए कहा।
"4 दिन बाद होली है पांडे जी .... ऐसा कीजिये की इस बार आप अपने अडिग विश्वास के साथ होलिका में बैठ जाइए ... देखिये की आप का विश्वास पक्का है कि नहीं और जैसे हरि ने प्रह्लाद को बचाया था उसके विश्वास के कारण वैसे आपको आपके ईश्वर बचाते हैं कि नहीं !..... यदि आप को आपके ईश्वर ने बचा लिया तो पूरी दुनिया में आपका नाम हो जायेगा और लोग फटा फट आस्तिक बन जायेंगे... आस्तिक ही क्या वो हिन्दू बन जायेंगे.... सोचिये पूरी दुनिया आपके इस कृत्य से आस्तिक बन जायेगी..... आप बैठिए इस बार होलिका में और साबित कर दीजिये अपने ईश्वर के विश्वास को....मैं अभी मिडिया वालो को बुलाता हूँ आपके इस महान विश्वास के प्रदर्शन के लिए ... आपका कितना नाम हो जायेगा दुनिया में .. " केशव ने गंभीर किन्तु मुस्कुराते हुए कहा ।
पाण्डे जी के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थीं.... उन्होंने गले में लटके गमछे से मुंह पोछा और कुछ देर खामोश रहने के बाद हड़बड़ाते हुए जेब से फोन निकाला और कान पर लगाते हुए बोले।
" ठीक है ! आ रहा हूँ बस रास्ते में ही हूँ"
इतना कह वे तेजी से निकल गएँ।
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