Thursday, 16 June 2016

आपबीती

मार्किट से माल लाते समय दोपहर हो गई थी , तेज धूप जैसे सब कुछ जला देना चाहती हो । दो घण्टे खुले में बाइक पार्क करने में बाइक की सीट इतनी गर्म हो गई की बैठना तो छोड़िये उसे हाथ लगाना ही ऐसा लग रहा था जैसे की गर्म तवे पर हाथ रख दिया हो ।
पर उसकी परवाह न करते हुए बाइक की सीट के पीछे वाले हिस्से में माल का बोरा बांधा और घर की तरफ दौड़ पड़े ।

इतनी तेज धूप जंहा आपके सर का पसीना आपके पैरो के अंगूठे तक आ रहा हो उसमे यदि लंबा जाम मिल जाये तो क्या होगा ? जी , तक़रीबन आधा घंटा जाम और धूप से लड़ते रहे उस पर तेज भूख और प्यास ने एक दम बे दम कर दिया था ।
खैर किसी तरह खुली रोड पर पहुंचे, थोड़ी दूर चलने पर एक साउथ इन्डियन रेस्तरा देख के भूख और प्यास ने आगे बढ़ने से मना कर दिया और बाइक स्टेण्ड पर लगा फटाफट रेस्तरा  के अंदर हो लिए ।

वेटर ने बैठते ही जब ठंढे पानी का जग टेबल पर रखा तो फटाफट एक सांस में दो गिलास खींच गए , तब लगा की शरीर में जान है ।
वेटर को खाने का ऑर्डर देके आस पास नजरे घुमाने की फुर्सत मिली ,दोपहर का समय था तो ज्यादा भीड़ नहीं थी रेस्त्रां में इक्का दुक्का लोग ही थे ।

पास वाली टेबल पर जब नजर गई तो आँखों में एक दम से चमक आ गई , धूप और जाम की थकान एक पल में न जाने कँहा छू मंतर हो गई ऐसा लगा की शिमला से कोई ठंढी हवा का झोंका आ गया हो .... एक दम से पसीना सूख  गया ... लुंज पुंज शरीर एक दम से सीधे अंदाज में बैठ गया ।

सामने एक बेहद खूबसूरत महिला जो तक़रीबन 27-28 साल की होगी सफ़ेद सूट में बैठी हुई थी , नीचे लाल कलर की लैगी सफ़ेद सूट के साथ जबरजस्त कॉम्बिनेशन दे रही थी ।बाल खुले हुए , करीने से लिपस्टिक लगाये हुए ,आँखे पतले काजल से और बड़ी दिख रही थी ,  गजब का इम्प्रेशन ।
हाँ साथ में 4-5  साल का एक बच्चा भी था जो उसके साथ था , उसी का बेटा था क्यों की बार बार 'मम्मी.. मम्मी' कह रहा था ।

इतने में वेटर मेरा ऑर्डर ले आया , खाते समय भी मैं कनखियों से उसे ही देख रहा था ।पर वह बिना ज्यादा इधर उधर देखे मुस्कुरा के अपने बच्चे के साथ खाने में मस्त थी ।शायद एक दो बार उसने मेरी तरफ देखा भी होगा तो लापरवाही से ।

थोड़ी देर में उस महिला ने अपना खाना ख़त्म किया और टिशु पेपर से अपना और अपने बच्चे का मुंह साफ किया और पेमेंट करने के लिए रिशेप्शन पर पहुँच गई पर मेरी नजरे अब भी उसके पीछे ही थीं ।
रिसेप्शन पर पहुँच के जब वह बिल के पैसे देने के लिए  पैसे निकालने लगी तो जैसे मैं आसमान से एक दम जमीन पर आ गिरा हूँ ,अब तक जिस महिला के सौंदर्य और  सलीके से मैं इम्प्रेस हो गया था और इतनी देर से चोरी चोरी देखे जा रहा था वह खुशनुमा धुंआ एक दम गायब हो गया ।

उस महिला ने पेमेंट करने के लिए अपने सूट में हाथ डाला और एक छोटा सा पर्स निकाला ,ठीक वैसे ही जैसे आपने गाँव की महिलाओ को पैसे या पर्स वक्षस्थलो में रखते हुए देखा होगा ।
ठीक उसी अंदाज में उस खूबसूरत, इम्प्रेसिव  और समझदार दिखने वाली महिला ने पर्स निकाला और उसमे से पैसे रिसेप्सन पर दिए ।

उसकी इस एक हरकत ने उसका सारा सौंदर्य और इम्प्रेसन गायब कर दिया था , अब मुझे वह वेवकूफ लग रही थी की कम से कम पर्स हाथ में रख सकती थी  .... इतना अच्छी सूरत , इतना महंगा सूट और इतने करीने से मेकअप करने के बाद उसकी इस हरकत ने सब पर पानी फेर दिया था ।

मैंने एक ठंढी आह ली और फिर मुझे बचपन के दिन याद आ गए जब पापा की जेब से पैसे चुरा के आपने नाड़े वाले कच्छे में छुपा लेता था ... दुनिया का सबसे सुरक्षित स्थान था वो ... स्विस बैंक से भी ज्यादा सुरक्षित .... और मैं मुस्कुरा दिया ।


- केशव (संजय)

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