Friday, 17 June 2016

पुण्य का काम



" भईया यह फूलो की माला कैसे दे रहे हो"- रेणू ने सड़क पर बैठे फूल बेचने वाले से पूछा?
" पांच रूपये की एक और बीस रूपये की पांच, बहन जी " - फूलवाले ने उत्तर दिया
" हाय राम! पांच रूपये की एक ! बहुत महंगे है तीन रूपये की एक लगाओ" रेणू ने थोडा नारजगी भरे शब्दों में कहा
" बहन जी ,तीन रूपये की तो खरीद भी नहीं है ! मंडी से लाने का भाड़ा  और ठीहे के पैसे देके कुछ नहीं बचता इस महंगाई में " फूलवाले ने उदासी से जबाब दिया ।
" अरे ,मैं जानती हूँ की कितना लूटते हो तुम लोग ! तीन रूपये से एक पैसा भी ज्यादा नहीं दूंगी .. मेरे पति इस थाने में ड्यूटी कर रहें है एक मिनट में उठवा दूंगी तेरा ताम- तोबड़ा'- रेणू ने गुस्से वाले लहजे से कहा तो फूलवाला सहम गया और तीन रूपये के हिसाब से रेणू को जितनी मालाये चाहिए थी दे दी । रेणू ने मालाये अपने साथ आये 12-13 साल के नौकर को थमा दिया , नौकर ने पहले से ही एक भारी थैला उठाये हुए था जिसमें तरह तरह के सामान भरे हुए थे । आज दीवाली थी और रेणू घर  के लिए छोटे मोटे सामान खरीदने बाजार आई हुई थी । मालाओं की गट्ठर थोड़ी भारी हो गई ,बेचारा बारह - तेरह साल का बच्चा इतना सामान उठाने में दिक्कत महसूस कर रहा था पर रेणू बिना उसकी तरफ देखे खरीदारी करे जा रही थी ।
अब रेणू  मिट्टी के दिए बेचने वाले के पास पहुंची , वंहा भी उसने मोलभाव कर और पुलिसिया रौब जमा के दियो को आधे रेट में खरीद लिए । बेचारी दिए बेचनेवाली बुढ़िया खून के आंसू पीते हुए मज़बूरी में रेणू की बात मान गई ।

घर पहुँच कर अभी वह सुस्ता ही रही थी की दरवाजे पर दस्तक हुई , नौकर ने बताया की 3-चार बाबा आये हुए हैं और वह आपसे मिलना चाहते हैं ।
रेणू ने जाके देखा तो उनमे से एक पास वाले मंदिर का पुजारी था , रेणू उसे अच्छी तरह से जानती थी आखिर रोज मंदिर जो जाती थी ।रेणू ने फ़ौरन पुजारी के पैर छू लिए ।
रेणू ने उनसे अंदर आने का आग्रह , अंदर आने के बाद पुजारी ने अपना आने का अभिप्राय बताया ।
" रेणू बेटी , कल गोवर्धन पूजा है और इस उपलक्ष्य में मंदिर में सभी साधू संतो के लिए भोजन का प्रबध किया गया है ।हम तुम्हारे पास उसी के चंदे के लिए आये हैं " पुजारी ने कहा "

" यह तो बहुत अच्छी बात है पुजारी जी , साधू संतो की सेवा करनी चाहिए !यह तो धर्म और और पूण्य का काम है  1100 मेरी तरफ से लिख लीजिये " रेणू ने कहा
" बस 1100 ,बेटी कम से कम 2100 रूपये तो दो आखिर पूण्य का काम है " पुजारी ने थोडा नाराज शब्दों में कहा
" ठीक है पुजारी जी 2100 रूपये लिख लीजिये' इतना कह रेणू ने पर्स में से 2100 रूपये निकाल के पुजारी को दे दिए ।

नौकर सभी के लिए चाय नास्ता लाते हुए सोच रहा था की गरीब से 2- 2 रूपये के लिए मोलभाव करने वाली और पुलिसिया रौब ज़माने वाली उसकी मालकिन कितनी आसानी से 2100 रूपये धर्म के नाम पर दे दिए ...' पुण्य' के नाम पर ।

-केशव 

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