Sunday 4 September 2016

तलाक़ - कहानी

 आनन्द उम्र लगभग 40 साल ,एक घड़ीसाज ।कई सालो तक एक घड़ी की दुकान पर हैल्पर और फिर कारीगर का काम करने के बाद और एक एक रुपया बचा के आनंद ने एक ऐसी जगह  छोटी से दुकान ले ली थी जंहा अभी आबादी कम थी।

आबादी कम होने के कारण दुकान सस्ती मिल गई थी , परन्तु काम कम ही था ।आनंद शादीशुदा था और तीन बच्चों का बाप , तीनो लड़के ही थे पर अभी तरुण ।

जैसे जैसे समय बीतता गया आबादी और बढ़ती गई और आनंद का काम भी ,उस क्षेत्र में उस समय केवल एक मात्र आनंद ही घड़ीसाज था अतः दूर दूर तक मशहूर था ।
एक सुबह आनंद आपनी दुकान पर बैठा एक पुरानी घडी को खोल उसके कल पुर्जो में उलझा हुआ था की एक सुरीली सी आवाज सुनाई दी -
"नमस्ते "
आनन्द ने गर्दन ऊपर करते हुए चश्मे से देखा तो सामने एक महिला जो तकरीबन 38 साल की होगी खड़ी उसकी तरफ देख मुस्कुरा रही थी ।
"नमस्ते..... कहिये " आंनद ने हाथ में पकडे औजारो को एक तरफ रखते हुये कहा ।
"जी एक घड़ी सही करवानी थी " महिला ने एक छोटे से पर्स से घड़ी निकालते हुए कहा।

आनंद ने घड़ी को देखा तो यह सोनाटा कंपनी की लेडिस घडी थी ।

"क्या खराबी है इसमें ? "आंनद ने पूछा ।
" बंद हो गई है , डेढ़ साल पहले आपनी बेटी की शादी में दी थी "महिला ने उत्तर दिया ।

आनंद ने घड़ी खोल जांच की और बताया की 200 रूपये लगेंगे खर्चा सही होने में ।200 रूपये का नाम सुनते ही महिला बेचैन हो गई , उसने पूछा की क्या कम में बात नहीं बन सकती ? 200 रूपये नहीं हैं उसके पास ।

अब आंनद ने उस महिला को गौर से देखा । साधारण कद काठी , चेहरा बुझा हुआ होने के बाद भी आकर्षण लिए हुए था तन पर सस्ती सूती साड़ी उसकी निर्धनता का खुला संकेत कर रही थी।
आंनद ने एक पल सोचा और बोला -
" देखिये! हद से हद मैं अपनी मेहनत छोड़ भी दूँ तो इसमें जो सामान लगेगा उसकी कीमत 150 होगी ... इससे कम नहीं हो सकता "
" मेरे पास अभी 100 रूपये हैं ... ब्याहता लड़की की घड़ी है इसलिए बनवाना भी जरुरी है ... क्या आप 50 रूपये उधार कर सकते  हैं कुछ दिनों के लिए ?"महिला ने लाचारी भरे शब्दों में कहा ।

आंनद ने एक पल सोचा और फिर घड़ी की मरम्मत करने लग गया ।महिला सामने पड़े स्टूल पर बैठ गई ,घड़ी की मरम्मत करते समय एक आध बार आनंद और उस महिला की नज़रे मिलती तो दोनों मुस्कुरा देते ।

कुछ देर के परिश्रम के बाद आंनद ने घड़ी ठीक कर महिला को पकड़ा दिया , महिला ने पर्स से सौ का नोट निकाल उसे आंनद को पकड़ती हुई बोली -
" बहुत बहुत धन्यवाद आपका , बाकी के पचास रूपये 3-4 दिन में दे दूंगी "
आंनद ने पैसे गल्ले में डालते हुए कहा-
"कोई बात नहीं !आप अपना नाम बता दीजिये "
"कमला .....यंही 4गली छोड़ के रहती हूँ किराये पर "

इसके बाद कमला दुकान से चली गई , आंनद ने एक कॉपी में कमला का बकाया लिखा और यह सोचने लगा की अगर  50 रूपये न भी देगी तो पुर्जे तो 100 रूपये के ही गिरे हैं घड़ी में चलो कम से कम मूल तो दे ही गई ।

कमला को गए आज पंद्रह दिन से अधिक हो गए थे किन्तु वह लौट के न आई ,आंनद भी अपने पैसे भूल ही चुका था ।
उसने सोच लिया था की कमला अब वापस नहीं आएगी ।

पर आज 20 दिन बाद कमला अचानक आनंद की दुकान में आई तो आनंद को आश्चर्य हुआ और वह कमला को देख व्यंग से बोला -
" ओह! आप आ गईं !! मैंने सोचा था की अब आप वापस नहीं आएँगी "
" क्यों नहीं आती? मैं बेईमान नहीं हूँ ..... पैसे का इंतजाम नहीं हो पाया था इसलिए नहीं आई " इतना कह कमला ने 50 रूपये आंनद को थमा दिए ।

आंनद को लगा की शायद कमला को बुरा लग गया , उसने बात टालने के लिए दो चाय का ऑर्डर दे दिया ।कमला मना करती रही किन्तु आनंद को तो जैसे अपनी गलती की इसी बहाने क्षमा मांगनी थी ।

चाय आई तो , बातो का दौर भी शुरू हो गया ।कमला ने बताया की उसके तीन बच्चे हैं , दो लड़कियां और एक लड़का ।पति शराबी है और एक ट्रक का पर हैल्पर है अतः ज्यादा तर वह घर से दूर ही रहता है उसे घर से कोई मतलब नहीं रहता है न ही घर का खर्च देता है और न ही कोई अन्य सहायता करता है ।

कमला घरो में झाड़ू पोंछा कर के किराये के मकान में रह रही है , बड़ी लड़की की डेढ़ साल पहले गरीब लड़कियो का विवाह करवाने वाली सामूहिक संस्था के माध्यम से विवाह हुआ है ।छोटी लड़की 14 साल की होगी जो घर पर ही रह के छोटा मोटा काम करती है और लड़का अभी 10 साल का है और पढ़ रहा है ।कमला के दिन बढ़ी कठिनाई से गुजर रहे हैं , कई दिन तो ऐसा होता है की खाना न होने के कारण भूंखे ही सोना पड़ता है ।

कमला ने जब आपनी कहानी ख़त्म की तो कुछ  क्षणों तक ख़ामोशी छाई रही दूकान में। फिर आनंद ने जेब से कमला का दिया हुआ 50 का नोट निकाला और उसे कमला के हाथो पर रख यह कहते हुए ख़ामोशी को भंग किया -
" आप रखिये यह पैसे ... 100 रूपये में काम चल गया था मेरा "

बहुत प्रेशर देने पर कमला ने पैसे वापस रखे ।इसके बाद दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति सहानभूति उत्पन्न हो गई ।

अब कमला को जब भी समय मिलता वह आनंद की दुकान पर आ जाती दोनों में देर तक बाते होती, कमला अपना सारा दुःख सुख आनंद से बांटती ।आनंद भी उसकी बाते गौर से सुनता और अपनापन दिखाता , आनंद कभी कभी आर्थिक मदद भी कर देता था कमला की ।

धीरे धीरे कमला और आनंद एक दूसरे से शारीरिक रूप से भी करीब आ गए थे किन्तु अभी तक यह बात किसी को पता न चली थी ।हाँ हुआ यह था की आंनद ने आर्थिक मदद बढ़ा दी थी कमला की , एक तरह से कमला और उसके दोनों बच्चों की जीविका का भार अब आनंद ही उठा रहा था ।कमला अब महंगी साड़ियां पहनती और घर में खाने की कमी न रहती ,उसने घरो में झाड़ू पोंछे का काम भी बंद कर दिया था ।लड़का भी अच्छे स्कूल में पढ़ने लग गया था ।सब तरह की सुख सुविधा अब हासिल करवा रहा था आनंद उन्हें ।

5-6 सालो तक यह रिश्ता यूँ ही चलता रहा।

बात तब खुली जब आनंद ने कमला की दूसरी लड़की की शादी में सारा खर्च उठाया , मामला यह पड़ा की आनंद ने स्वयम् के घर में पैसे देने कम कर दिए थे  ।करता भी क्यों न ?आखिर उसी घड़ीसाज के काम में इतना पैसा नहीं आता  था की दोनों घरो में भरपूर पैसा देते रहता आंनद।
कमला की लड़की के विवाह में कर्ज भी लिया था उसने अतः देनदारों का भी देना था उसको ।

अब घर में कलेश बढ़ने लगा , आनंद और उसकी पत्नी में मारपीट तक हो जाती ।बड़ा लड़का तक़रीबन 17 साल का था अतः वह भी खूब बुरा भला कहता आनंद को ।
किन्तु इससे वावजूद भी आनंद और कमला का साथ न छूटा । आनंद की पत्नी कई बार कमला के घर जाके भी खूब गलियां दे आई थी , साम-दंड दोनों पैतरे आजमा लिए थे कमला का साथ छुड़वाने के लिए किन्तु सब असफ़ल ।यंहा तक की आंनद कुछ दिन जेल भी रह के आ गया था पत्नी को प्रताणित करने के जुर्म में ।

आंनद भी अपनी पत्नी से थक चुका था , अब तो उसके सारे संबंधी भी पत्नी की तरफ हो गए थे और उसके खिलाफ। इस बीच आनंद पर कर्जदारो ने शिकंजा अधिक सख्त कर लिया था उसके ऊपर , फिर आनंद के ठीक से काम न कर पाने के कारण कमला को उसने पैसे देने बंद कर दिया था ।किराये के मकान में रहने वाली कमला का भी  पैसो को लेके दबाब बढ़ता जा रहा था उसके ऊपर।
वह मानसिक रूप से अत्याधिक विचलित  रहने लगा , थक हार के उसने अपनी दुकान बेचने का फैसला कर लिया ।घर वह बेंच नहीं सकता था क्यों की उस पर उसकी पत्नी और बच्चों का कब्ज़ा था जिनका सहयोग उसके रिस्तेदार कर रहे थे ।

दुकान बेचने के बाद उसने कमला के लिए एक घर लिया , जो पैसा बचा उसको कर्जदारो को देके पीछा छुड़ाया।
इधर जब पत्नी ने देखा की आनंद अब नहीं सुधरने वाला है तो उसने उसे तलाक देने का निश्चय किया पर इसके  ऐवज में जितनी भी संपत्ति बची थी गाँव और यंहा उसको अपने नाम करने की शर्त रखी।

आनंद ने सहर्ष यह शर्त स्वीकार कर ली क्यों की वह तो खुद अपनी पत्नी से छुटकारा चाहता था , उसने अपनी बची हुई सारी सम्पत्ति नाम कर दी ।

अब आनंद स्वतंत्र था ।

वह अब उस घर में रहने लगा जो उसने कमला को लेके दिया था किन्तु घर कमला के नाम ही था ।चुकी आनंद ने दुकान बेच दी थी तो अब वह एक किराये की दुकान लेके घड़ीसाज का काम करने लगा ।

धीरे धीरे कई महीने बीत गए,आंनद अब भी किसी तरह से कमला और उसके बेटे का भरण पोषण कर रहा था पर अब किराए की दुकान लेके।

" कमला!ये तुम्हारी बड़ी लड़की अपने बच्चों के साथ जब देखो आ जाती है और कई कई दिनों तक यंही रूकती है " एक दिन आंनद ने कमला से थोडा नाराज होते हुए पूछा ।
" हाँ तो?क्या हो गया ?" कमला ने रूखे स्वर में उत्तर दिया
" हो कुछ नहीं गया आर हमारा छोटा सा घर है ... सोने बैठने की परेशानी हो जाती है ... और फिर खर्चा बढ़ जाता है " आंनद ने कमला के उपेक्षित स्वर का जबाब दिया ।
"बेटी माँ के घर नहीं आएगी तो किस के घर जायेगी? तुम्हे क्या परेशानी?"कमला ने अब थोडा नाराज होके कहा ।
" परेशनी है न !घर का खर्चा मैं उठता हूँ और जगह की परेशानी अलग होती है मुझे " आनंद ने गुस्से भरे शब्दों में कहा ।

कमला कुछ और बोलती इससे पहले आनंद अपनी बात ख़त्म कर दुकान पर जाने के लिए बाहर निकल गया ।बात आई गई हो गई ।
कुछ दिनों बाद कमला की छोटी लड़की के बच्चा  पैदा हुआ , बच्चा पैदा होने पर ननिहाल से छूछक(नेग) आने की प्रथा थी ।जिसमे कमला ने लड़की के ससुराल वालो को कपडे , मिठाइयां , फल और कुछ जेवर देने की बात आनंद से की जिसका कुलमिला खर्चा 30 हजार के करीब आ रहा था ।

आंनद के लिए 30 हजार की रकम उस समय बहुत बड़ी लगी अतः उसने असमर्थता जाता दी ,किन्तु कमला को बहुत बुरा लगा इस बात का। वह बहुत लड़ी आनंद से ।

थोड़े दिनों बाद कमला की दोनों बेटियां एक साथ रहने आ गई कमला के घर ,खर्चा बहुत बढ़ गया आनंद का फिर से ढेरो रूपये कर्जा लेना पड़ा उसको ।वह अब चिढ़चिढ़ा होता जा रहा था , बात बात पर सभी से लड़ना उसकी आदत बन गई थी ।

कई बार तो उसे अपनी पहली पत्नी और बच्चों की बहुत याद आ जाती , वह व्याकुल हो उनसे मिलने चल देता किन्तु बीच रास्ते में उसे याद आता की उसने तो तलाक ले लिया है और वह आंसू लिए फिर वापस आ जाता ।झगड़ालू स्वभाव हो जाने के बाद रहा सहा घड़ी साज का काम भी जाता रहा , थक के उसे दुकान बंद ही करनी पड़ी।
अब वह बिलकुल बेरोजगार था , फटे हाल।दिन भर यूँ ही भटकते रहता ,रात को घर जाता तो कमला इसे खाने की जगह गालियां देती।

दिन यूँ ही बीत रहे थे ,आनंद अब बूढ़ा और कमजोर लगने लगा था । एक दिन किसी से आनंद ने अब एक बात और सुनी की कमला का पहला  पति घर वापस आ गया है ।
वह गुस्से में भरा घर पहुंचा और कमला से प्रश्न किया तो कमला ने  उत्तर दिया -
"क्यों नहीं रहेगा मेरा पति मेरे साथ? मैंने उसे तलाक थोड़े न दिया है ....वह मेरे साथ ही रहेगा....आखिर वह मेरे बच्चों का बाप है ...तुम कौन हो?"

कमला की बात सुन जैसे आंनद को ऐसा महसूस हुआ की जैसे किसी ने उसके शरीर के रक्त की एक एक बून्द निचोड़ ली हो । वह निढ़ल ,मूर्ति बना हुआ खड़ा रहा ,उसके दिमाग यही सोचने लगा -"वास्तव में मैंने दिया था तलाक अपनी पत्नी को ... मैंने छोड़े थे अपने बच्चे...कमला ने तलाक नहीं दिया था अपने पति को न बच्चे छोड़े "

वह बहुत देर तक मौन वंही खड़ा रहा ,कमला क्या क्या बोल रही थी उसे कुछ नहीं सुनाई आ रहा था । वह तो अपने मस्तिष्क में चल रहे अतीत और वर्तमान के प्रश्नो में तूफान में फंसा हुआ था ।

उस शाम के बाद आनंद को किसी ने नहीं देखा , न जाने कँहा खो गया था वह ।

बस यंही तक थी कहानी ...

3 comments:

  1. पुरुष और स्त्री की अद्भुत प्रवृति.... एक अपने अर्थिक और शारीरिक बल के कारण सब छोड़ एक के पीछे भागता है और दूसरी निर्भर और कमज़ोर होने के कारण अपने रिश्ते, बच्चे संपत्ति की तरह संजों को चलने का प्रयास करती है।

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