Wednesday 8 February 2017

वैलेंटाइन गिफ्ट- कहानी

  "कितना खूसूरत है चाँद आज की रात!.... एक दम उजला सफेद,.... है न चंदन?" रिया ने आसमान में पुरे खिले चंद्रमा की तरफ टकटकी बांधे  हुए पूछा ।

फरवरी की हलकी सर्दी और रात के तकरीबन बारह बजे से कुछ ऊपर का समय रहा होगा, चंदन और रिया चौथी मंजिल के फ्लैट की  बालकनी पर खड़े थे। ये फ्लैट चंदन ने किराये पर लिया था ,यंही रहता था वो।

चंदन अकेला रहता था इस फ्लैट में, माँ बाप बचपन में  गुजर गए तो बुआ ने उसे पाला । किसी तरह स्नातक करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स का काम करने लगा था और अब किराये अलग रहने लगा था।

रिया से उसकी मुलाक़ात एक पार्टी में हुई , वह अभी कॉलेज में ही पढ़ रही थी। हलाकि अभी दोनों को मिले कुछ ही महीने हुए थे किंतु दोनों में प्यार गहरा हो गया था । आज वेलेंटाइन डे था और रिया ने चंदन के घर में ही इसे सेलिब्रेट करने का मन  बनाया तभी वह यंहा रुकी हुई थी।

"हूं.... " चंदन जो सड़क पर एक्का- दुक्का गाड़ियों की पास आती और फिर दूर जाती हैडलाइट की रौशनियो को निहारते हुए कहा।
" हूं ... हूं क्या ?….. देखो न!चाँद तारो में घिरा कितना सुंदर लग रहा है ... जैसे कोई दुल्हन हीरो से जड़ी चुनरी होड के झाँक रही हो... ये ठंडी हवा...ये खामोशियाँ ...आह!....चंदन!कितना रोमांटिक मौसम है आज...यूँ लग रहा जैसे ये चाँद तारो की बारात लिए हमारे प्यार का साक्षी बन रहा है " रिया ने प्यार से  चंदन के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा ।

"हूं... " चंदन ने चंद्रमा की तरफ देखते हुए कहा ।
"फिर हूँ.... क्या है!!" क्या तुम्हे कुछ महसूस नहीं हो रहा है ? "रिया चंदन के और करीब आते हुए कहा।
" पता है चंदन!मुझे चाँद की उजली चाँदनी बहुत पसंद है ..... जी करता है कि बस देखती ही रहूँ... तुम्हे कैसा लगता है ? " रिया ने चंदन के सीने पर अपना सर रखते हुए पूछा।

एक गहरी सांस छोड़ी चंदन ने ,फिर चाँद की तरफ एक टक देखता हुआ बोला-
"मुझे चाँद ऐसा लगता है जैसे कोई सोने का सिक्का हो जिसे हाथ बढ़ा के छू लेने का मन करता है"
" मन करता है कि सिक्के को बस तोड़ लूँ.... और खरीद लूँ दुनिया की हर ख़ुशी, मुझे चाँद वैसा ही लगता है जैसे किसी भूखें बच्चे को चाँद रोटी का टुकड़ा लगे"

इतना कह चंदन खामोश हो गया ।उसकी ऐसी बाते सुन रिया अपना चेहरा चंदन के चेहरे के बिलकुल पास लाइ और बोली-
"चंदन! पैसा ही सब कुछ नहीं होता ,इस दुनिया मे प्यार सबसे जरुरी है "
" पता नहीं रिया,पर आभावो में जीते हुए मुझे यही अनुभव हुआ है कि पैसा ही सब कुछ होता है ..... पता नहीं मैं तुम्हे खुश रख भी पाउँगा की नहीं ?" चेतन ने रिया की आँखों में देखते हुए कहा ।
" कैसी बाते करते हो! मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए जीने के लिए ...बस! और कुछ नहीं ... मैं हर हाल में खुश रह लुंगी तुम्हारे साथ .... लव यू "इतना कह रिया चंदन से लिपट गई ।


दोनों के विवाह के तीन साल बाद।

"चंदन ऐसा कैसे चलेगा काम?अब हमारी बच्ची बड़ी हो रही है उसका एडमिशन करवाना है  ... पचास हजार डोनेशन मांग रहे हैं स्कूल वाले .... तुम कोई और नौकरी क्यों नहीं कर लेते?" रिया ने चंदन को खाना परोसते हुए कहा ।
" कितनी नौकरी बदलूँ ? तीन साल में पांचवी नौकरी है यह....आज कल नौकरियां इतनी आसानी से नहीं मिलतीं.……. और बच्ची को अभी थोड़ा कम खर्च वाले स्कूल में पढ़ा देते हैं बाद में देखेंगे"चंदन ने थोड़ा झिड़कते हुए कहा ।
"हाँ जैसे हम रह गएँ न वैसे ही हमारे बच्चे भी ... अरे का स्कूल में बेशक फीस ज्यादा है पर बच्चा वंहा से कुछ बन के ही निकलता है ..... हमारी तरह नहीं की सरकारी स्कूल में पढ़ लिए और लग गए गधे की तरह किसी लाला कंपनी में मजदूरी करने .... मैं तो अपनी बच्ची को उसी स्कूल में पढ़ाऊंगी... " रिया ने लगभग गुस्से में कहा।

चंदन ने रिया को गुस्से में देखा तो कुछ नहीं बोला बस सर नीचे कर खाना खाता रहा ।

कुछ दिन बीते ।

"सुनो ,क्यों न हम एक कार खरीद लें? मेरे सब रिस्तेदारो के पास है...मुझे बड़ी शर्म महसूस होती है जब हम तुम्हारी खटारा मोटरसाइकिल पर बैठती हूँ…. अब तो बच्ची भी बड़ी हो रही है मोटरसाइकिल पर तीन जने बड़ी मुश्किल से एडजस्ट हो पाते हैं" रिया ने करवट बदलते हुए कहा ।
"कार!यार मेरी सैलरी इतनी नहीं है कि कार ले लूँ..." चेतन ने लेटे -लेटे ही कहा ।
"सैलरी नहीं है ....सैलरी नहीं है.... जिंदगी भर यूँ ही रोते रहना .... कोई सुख नहीं देखा मैंने तुम्हारे साथ चार सालों में.... बस नौकरानी बना के रख दिया है ... चूल्हा चौके में .... एक अंगूठी तक नहीं दिलाई शादी के बाद …..कभी कभी तो दम घुटता है मेरा तुम्हारे साथ' रिया गुस्से में न जाने क्या क्या बोले जा  रही थी ।
" तो मुझ से शादी क्यों की? जब तुम्हे पता था मेरी हैसियत उतनी नहीं है " चेतन ने गुस्से में कहा।
"हाँ हाँ ... अब तो तुम यही कहोगे न! मेरी मति मारी गई थी " रिया ने दुगने गुस्से में जबाब दिया और रोने लगी।
चेतन चुप हो गया, अब तो उसको भी आदत हो गई थी रिया के ऐसे ताने सुनने के ।

धीरे धीरे अब दोनों के बीच आये दिन झगडे बढ़ते गएँ। बात बढ़ते बढ़ते तलाक तक की नौबत आ गई, तलाक़ रिया लेना चाहती थी।

आज फिर वैलेंटाइन डे था, पर रिया को याद न था वह फिर खूब लड़ी थी चेतन से और तलाक़ के पेपर्स पर साइन करवा अपनी मां के घर जाना चाहती थी।

काफी रात हो गई थी पर अभी तक चेतन घर नहीं आया था ,रिया को अब थोड़ी बेचैनी होने लगी थी उसने घड़ी पर नजर डाली तो एक बजने वाला था ।
उसने मन मार के चेतन को फोन करना चाहा किन्तु फोन स्विच ऑफ आ रहा था ।
रिया कमरे से बाहर निकल बालकोनी में आ गई, बाहर चाँद पूरा खिला हुआ था ।रिया ने चाँद को देखा तो उसे पुराने दिन अचानक याद आ गएँ । वो चेतन के साथ शादी से पहले के दिन उसकी आँखों के आगे घूमने लगे।
उसने फिर चेतन को फोन लगाया किन्तु अब भी स्विच ऑफ ।वह बेचैन हो फिर कमरे में आ गई , बच्ची गहरी नींद में सो रही थी ।
रिया ने यूँ ही अलमारी से चेतन का ऑफिस बैग निकाल लिया ,फिर उसे ध्यान आया की चेतन का  ऑफिस बैग तो यंही है फिर बिना ऑफिस बैग के चेतन ऑफिस कैसे चला गया?।

उसने बैग खोल के देखा तो उसमें बहुत के कागजो के साथ एक लैटर मिला।
रिया ने लैटर खोल के देखा  और पढ़ने लगी-
'रिया, मैंने मैंने जिंदगी में सिर्फ तुमसे प्यार किया था ...मुझे लगा था कि तुम मेरे साथ हर हाल में खुश रहोगी...मैंने तुम्हे जिंदगी का हर सुख देने चाहता था पर मैं नाकामयाब .... मुझे माफ़ करना । जब तुम यह लैटर पढ़ लेना तो देखना कागजो के बीच एक लिफाफा रखा है उसमें मेरे बीमा के कागज़ात है ,मैंने तीस लाख का बीमा करवाया है जो तुम्हे मेरे मरने के बाद मिल जायेगा ।इस तीस लाख रूपये से तुम नया जीवन शुरू करना ... और मेरी बच्ची को खूब पढ़ना और इसे काबिल काबिल बनाना ताकि यह हमारी तरह आभाव में न जिए.... मैं जा रहा हूँ ,जीते जी तुम्हे कोई ख़ुशी न दे पाया इसके लिए मुझे माफ़ करना .... आई लव यू...हैप्पी वैलेंटाइन ..."

रिया के हाथ से लैटर छूट गया ..… वह बदहवास बार बार चेतन का फोन मिलाने लगी।

सुबह खबर मिली की चेतन का एक्सीडेंट हो गया और वह अब नहीं रहा।


बस इतनी सी थी कहानी....


No comments:

Post a Comment