Saturday, 2 July 2016

जन्मपत्री


सीमा अपने कमरे के दरवाजे पर लगे पर्दे के पीछे से ड्राइंग हॉल में बैठे अमर और उसके परिवारवालो को देख रही थी ।
"कितना अच्छा लड़का लग रहा है , ठीक वैसे ही जैसे मैंने सोचा था ... भगवान् इस बार सब ठीक कर देना " सीमा ने मन ही मन भगवान् से हाथ जोड़ प्रार्थना की।

तभी सीमा की भाभी कमरे में दाखिल होती हैं, सीमा हड़बड़ा के पर्दे के पीछे से हट जाती ।

"ओहो!! छुप के छुप के नज़ारे हो रहे हैं ..." भाभी ने सीमा को छेड़ते हुए कहा

" न..न..नहीं तो! मैं तो ऐसे ही खड़ी थी " सीमा ने शर्माते हुए कहा
"अच्छा !! ठीक है ... चलो बुला रहे हैं तुम्हे सब बाहर .... जी भर के देख लेना फिर " भाभी ने हसंते हुए कहा ।
" भाभी ... इस बार तो सब ठीक हो जायेगा न ?.... मुझे डर लग रहा है " सीमा ने आशंकापूर्ण प्रश्न किया ।
" अरे ! बिट्टो ... भगवान् सब ठीक करेगा ...तुम चिंता मत करो "भाभी ने सांत्वना देते हुए प्यार से गाल पर हाथ मारा सीमा के ।

अमर और उसका परिवारवाले सीमा को देखने आये थे रिश्ते के लिए । अमर देखने स्मार्ट और व्यवहार का  अच्छा लड़का था जो अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाता था ।
सीमा अपनी स्नातक की पढ़ाई कर के घर पर ही बच्चों को ट्यूशन देती थी , यूँ तो सीमा के लिए उसके पिता ने उसकी पढाई ख़त्म करते ही रिश्ता देखना शुरू कर दिया था पर बात कंही बन नहीं पा रही थी।

सीमा अब 28 साल की हो गई थी ,बीसियो लड़के देखे होंगे रिश्ते के लिए पर हर जगह कोई न कोई परेशानी आ ही जाती थी । मुख्य बात थी की सीमा के माता पिता दोनों धार्मिक थे , बिना जन्मपत्री  मिलाये सीमा की शादी हरगिज कंही नहीं करना चाहते थे । जंहा भी सीमा के लिए रिश्ता देखते यदि लड़का पसन्द आ भी जाता और जन्मपत्री  न मिलती तो वंहा रिश्ता नहीं करते ।

अमर ने सीमा को देखा और सीमा ने अमर को दोनों ने एक दूसरे को पसन्द कर लिया , सब के पूछने पर दोनों ने हांमी भी भर ली शादी की ।दोनों परिवारवाले भी बहुत खुश हुए इस रिश्ते को लेके, जैसा लड़की वालो को वर चाहिए था वैसा वर मिला और जैसी लड़के वालो को वधु चाहिए थी सीमा वैसी ही थी ।

सीमा का तो ख़ुशी का ठिकाना ही न था , उसे उसके सपनो का राजकुमार मिल गया था ... लगा तलाश ख़त्म हुई ।
विदा होते वक्त दोनों परिवारवालो में सीमा और अमर की जन्मपत्री का आदान प्रदान हुआ मिलान के लिए ।

दो दिन बाद सीमा के पिता जी के पास एक फोन आता है ,फोन सुन उन्हें धक्का सा लगता है वे सोफे पर लगभग गिरते हुए धम्म से बैठ गए ।
फोन हाथ से छूट गया ।
" क्या हुआ पिता जी ?......." सीमा ने दौड़ के पूछा
" कुछ नहीं .... अमर के पिता का फोन था ... कह रहे थे की जन्मपत्री  नहीं मिली तुम दोनों की इसलिए यह शादी नहीं हो सकती " सीमा के पिता जी ने बड़ी मुश्किल से कहा ।

सीमा तो जैसे जड़वत हो गई , काटो तो खून नहीं ... दिमाग सुन्न .... दो दिन में कितने सपने देख लिए थे उसने सब एक झटके में चूर ।
सीमा के कई रिश्ते टूट गए थे , सीमा का हर बार रिश्ता टूटना सीमा को मानसिक रूप से तोड़ देता था ।बेशक जन्मपत्री  न मिलती थी पर सीमा अपने को हीन समझती। समाज में उसकी बेज्जती होती , सभी लोग उसे ही अजीब निगाहो से देखते जैसे रिश्ता उसके कारण ही टूट जाता हो ।

" कल जाता हूँ अपने वाले पुरोहित के पास तेरी और अमर की जन्मपत्री  दुबारा मिलवाने " सीमा के पिता जी ने ठंडी आह भरते हुए कहा ।

सीमा बिना कुछ बोले अपने कमरे में चली गई , अगली सुबह सीमा की लाश पंखे से लटकी हुई मिलती है ।परिवारवालो के पास सिवाए रोने के  कुछ चारा न था ।

ये एक सीमा की कहानी नहीं है बल्कि देश में हजारो लाखो सीमायें जन्मपत्री  न मिलने के कारण या तो जीवन भर कुंवारी बैठी रहती है या मौत को गले लगा लेती हैं ।

जन्मपत्री मिलान का खेल हमारे देश में जबरजस्त तरीके से फैला हुआ है ,विडम्बना है की लोग धूर्तो के बनाये जन्मपत्री/ कुंडली के चक्कर में कर्मपत्रि को नजरअंदाज कर देते हैं और नतीजा वही होता है जो ऊपर बताया ।

जन्मपत्री मुखयतः 12 राशियों , 9 ग्रहो और 27 नक्षत्रो पर आधरित एक विवरण पत्रिका होती है ।
पंडितो के अनुसार जन्मपत्री बच्चे के जन्म के समय आकाश में ग्रहो की जो स्थिति होती है वह जन्मपत्री में दिखाया जाता है ।

बारह राशियाँ जैसे - मेष, मिथुन, कर्क , सिंह , धनु , कन्या , तुला, वृश्चिक , मकर , कुम्भ , मीन हैं जिनके नामकरण वैज्ञानिक नहीं हैं बस तारो के काल्पनिक आकृतियों पर आधारित हैं ।

नौ ग्रह- सूर्य , मंगल, चन्द्र, बुध , ब्रहस्पति , शुक्र , शनि , राहु और केतु जन्मपत्री के ग्रह है ।
इनकी धूर्तता देखिये , बच्चा भी जानता है की चंद्रमा ग्रह नहीं है और राहु केतु का आज तक पता नहीं चला की कौन से ग्रह हैं ।

नक्षत्र- कई ताराओं के समूह को नक्षत्र कहते हैं , आकाश में में ये तारागण विभिन्न आकृतियों में देखे जा सकते हैं । आकाश में कुल 27 नक्षत्र यानि तारा गण है जैसे रोहिणी , मघा , अश्विनी आदि ।

राशियों की तरह नक्षत्र भी भ्रमक होते हैं ,

इन्ही 12 भावो पर धूर्त ज्योतिषियों का महल खड़ा होता है जिसमे फंस के सीमा अमर जैसे मासूम या तो मौत के गले लगा लेते हैं या आजीवन कुंवारे रहते है या बेमेल शादी करने पर मजबूर होते हैं ।

एक बात समझ लेनी चाहिए हम सब लोगो को की फलित ज्योतिष एक ठग विद्या है और जिसका प्रमुख हथियार है जन्मपत्री ।जन्मपत्री के आधार पर लोगो का भविष्य बताने का दावा करने वाले अपने भविष्य के बारे में नहीं जानते ।
कुछ दिन पहले अख़बार में एक खबर पढ़ी थी की एक ज्योतिष को उसकी बहु ने घर से बेदखल कर दिया और उस ज्योतिष ने अपनी बहु और बेटे पर केस डाला ।

सोचिये की जो ज्योतिष अपने भविष्य के बारे में नहीं बता सकता या अपने घर के ग्रह सही नहीं बैठा सकता वो आपके घर का ग्रह कैसे ठीक करेगा ?

अतः इन सब चक्करो में न फंस के लोगो को चाहिए की वे इस ठगी के धंधे के प्रति जागरूक हों ।



2 comments:

  1. बिल्कुल सही है ज्योतिष ठगविद्या ही है लेकिन यह बात सभी की समझ मे नहीं आती है सैकङों ज्योतिषीयों के द्वार पर धन लुटाकर भी समझ मे नहीं आता है कि यदि ज्योतिषी भविष्य बता सकते तो अपना व अपने परिवार का भविष्य न जान लेते - दूसरों का भविष्य बताने के नाम पर ठगी का धन्धा नहीं कर रहे होते.

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    1. जी , सही कहा आपने आशीष जी
      धन्यवाद विचार प्रकट करने के लिए ।

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