Wednesday, 24 August 2016

जानिए ऋग्वेदिक कृष्ण के बारे में



यह सर्व ज्ञात है की भारतीय लोग श्याम वर्णीय रहे हैं , ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 100 वें सूक्त के 18 वें मन्त्र में इसका स्पष्ट उदहारण मिल जाता है ।

मन्त्र में कहा गया है " दस्युमिच्छम्युश्च...... सुव्रज

अर्थात -अनेक यजमानो द्वारा बुलाये गए इंद्र ने गतिशील मरुतो के सहयोग को पा शत्रुओ एंव राक्षसो पर आक्रमण हिंसक व्रज द्वारा उनका वध किया ।शोभन व्रजयुक्त इंद्र ने श्वेत वर्ण के अलंकारो से दीप्तांग मरुतो के साथ द्वारा अधिकृत भूमि को बाँट लिया।

यंहा स्पष्ट है की बाहरी लोग श्वेत वर्ण के थे और भरतीय काले ।

कृष्ण काले थे यह इसका प्रमाण देने की आवशयकता नहीं , ऋग्वेद में ही कृष्ण नाम के एक असुर का जिक्र आया है जो इस प्रकार है ।

ऋग्वेद मंडल 1,सूक्त 130, मन्त्र 8-

"हे इंद्र!युद्ध में आर्य यजमानो की रक्षा करते हैं , अपने भक्तो की अनेक प्रकार से रक्षा वाले इंद्र उसे समस्त युद्धों से बचाते है । इंद्र ने अपने भक्तो के कल्याण के निमित्त यज्ञ द्वेषियो की हिंसा की थी । इंद्र ने कृष्ण नामक असुर की काली खाल उतार कर उसे अंशुमती ( यमुना)  नदी के किनारे मारा और भस्म कर दिया । इंद्र ने सभी हिंसक मनुष्यो को नष्ट कर डाला ।

जैसा की हम जानते हैं कृष्ण ने इंद्र के यज्ञ का विरोध किया था , उन्होंने गोकुल वासियो द्वारा  इंद्र की पूजा करने और यज्ञ हवन बंद करवा देने के कारण इंद्र कुपित हुआ था जिस कारण कृष्ण ने गोकुल वासियो सहती गोवर्धन पर्वत पर आश्रय लिया था ।इस बात पर तो दो मत हो ही नहीं सकते की कृष्ण इंद्र के विरोधी थे ।

जैसा की ऋग्वेद के मन्त्र में वर्णित है की इंद्र ने कृष्ण को यमुना नदी के तट पर मारा था और उनकी त्वचा का रंग काला था तो दोनों ही बाते वर्तमान प्रचलित कृष्ण से मेल खाती है ।ऋग्वेदिक कृष्ण और भागवत कृष्ण दोनों इस सम्बन्ध में एक ही लगते हैं।

कुछ और उदहारण देखिये इस शंका की पुष्टि के लिए-

ऋग्वेद 8 वां मंडल, सूक्त 85,मन्त्र 13

"शीघ्र गति से चलने वाला एंव दस हजार सेनाओ को साथ लेकर चलने वाला कृष्ण नामक असुर अंशुमती(यमुना) नदी के किनारे रहता था ।इंद्र ने उसे खोजा और उसका वधकारणि सेनाओ को नष्ट कर दिया।

भागवत कृष्ण का यमुना तट से घहरा सम्बद्ध है ।

अब दूसरा मन्त्र ( मन्त्र 17) देखिये ,

" तुमने कृष्ण असुर को नीचे की ओर मुंह करके मारा था तथा अपनी शक्ति से शत्रुओ की गाये प्राप्त की थीं"

भागवत कृष्ण का गाय के साथ सम्बन्ध गहरा है , ऋग्वेदिक असुर कृष्ण के पास भी गाये थी जिसे इंद्र छीन लेता है "

इसके आलावा बौद्ध ग्रन्थ दीघ निकाय के अम्बठ्ठ सुत्त में कृष्ण एक महान दार्शनिक रूप में विद्यमान हैं ।

तो क्या इन प्रमाणो से यह निष्कर्ष निकल सकता है की कृष्ण असुर जननायक रहे होंगे जिन्होंने यज्ञ करने वाले इंद्र से युद्ध किया होगा ?, परन्तु आम जननायक होने के कारण  यंहा के लोगो के स्मृतियों में रचे बसे थे जिनको वैदिक लोगो भरकस प्रयास करने के बाद भी न निकाल पाये अतः उसका ब्रह्मणिकरण कर दिया गया ?

जैसे बुद्ध को विष्णु का अवतार घोषित कर दिया गया ।
यह आप सब निष्कर्ष निकालिये की यह बात कितनी सत्य हो सकती है ।


11 comments:

  1. Kya saboot hai ki anshumati nadi yamuna hi hai dusht pravratti ke insan rigved mein aur do Krishna ka nam hai angirus Krishna jo ek rishi the uska nam tune nahi liya tujhe teri hi bhasha mein Jawad deta hu kyunki tu chutiya hai pahli bat to kya kahi bhi rigved mein Krishna k sath balram ya murli ka jikra hua hai tune bola ki kala rang wo sabka hota tha aur gau bhi sab rakhte the asur shabd kai bar devtao k liye bhi use hota hai ab sun tune kaha Krishna nam ka asur jo anshumati nadi ke kinare rahta hai to wo nagraj Krishna tha jo gufa mein rahta tha bhagwan Krishna gufa mein nahi rahte the samjha jis ved ki tu mahagatha ga raha hai us ved ko vedvyas ne likha aur mahabharata aur bhagwat bhi unhone hi likha hai phir ye kaise sambhav hai ki ek jagah asur aur ek jagah bhagwan not possible samjha isse ye sabit hota hai ki rigved wala Krishna alag hai bhagwan Krishna ka charitra rigved mein Krishna namak rishi se match karta hai naki asur se

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  2. Kya saboot h ki ye jo aajkal prachalan me granth h ye ved Vyas ne hi likhe h.vedvyas ji bahut pahle hue the.tab se dharti Kai bar mitchuki h

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  3. Tum log ved aur shartron ke shabdo padte ho Kabhi samjha bhi hai vedon me Shree Krishna ki Vishnu kahkar pukara Gaya h rigged ke 3.55.1 slok ko pado suryoda se pahle paida hua air base me gauo ke pass le Jaya Jaya h wo sarvocch Satya hai ye tum jante hi hogeki ki sarvocch Satya ishwer ko kaha jata h

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  4. Vedon me Shree Krishna ko Vishnu kahkar adhik pukara Gaya h rigved ke 3.55.1slok me Likha h surya Uday SE pahle paida hua aur baad me gauon pass le jaya jata h wo sarvocch Satya h itna to tumhe pata hi Hoga ki sarvocch Satya ishwer ko hi kaha jata h

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  5. Rigved me Anya jagha par ek sunder GOP ladke Ka varnan paya jata h ho Kabhi apni stathi se Nahi girta air vah Gopal kudh Vishnu h

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  6. वेद व्यास का नाम भी कृष्ण था तो क्या वो भी कृष्ण भगवान हिबते, द्रोपदी का नाम भी कृष्णा था, तो क्या वह कृष्ण की सगी बहन हो गयी। क्या कुतर्क करके रखा है।

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  7. इन सालों ने यादवो की अवहेलना करने के लिए श्री हरि के आठवें अवतार श्री कृष्ण वासुदेव को भी नही छोरा। वेदों मे नागाअर्जुन कृष्ण की बात कही गई है। न की भागवत महाप्रमात्मा श्री कृष्णा की। मान लो की प्रभु श्री कृष्ण को कोई मार देता हैं। तो वो प्रभु श्री कृष्ण की बचपन की बात हैं। फिर महाभारत मे भगवान कृष्णा की जिक्र कैसे। लिखना हैं तो सच्चाई लिख

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  9. जहां तक श्री कृष्ण के अनार्य होने का प्रश्न है तो हिन्दू धर्म के चारो वर्ण में कोई अनार्य नही है ।
    क्योंकि आर्य एक प्रजाति माना गया जिनका शक्ल सूरत आकर प्रकार एक जैसा था ।
    आज भी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य या तथाकथित शूद्र इसमें से कोई अनार्य नही है क्योंकि ये देखने मे कहि से भिन्न प्रजाति के नही लगते ।
    अनार्य संभवतः वे लोग है जो बिल्कुल ही भिन्न प्रजाति के है जिनका शक्ल सूरत नाक नक्श बहुसंख्यक से बिल्कुल ही भिन्न है
    इसमें पहाड़ी जनजाति और आदिवासी को माना जा सकता है ।
    अखिलेश यादव तो कृष्ण के वंश के है या उनके पिता मुलायम लेकिन वो किस दृष्टिकोण से ब्राह्मणों से शक्ल सूरत में भिन्न है
    या चिराग पासवान तो दलित है न । तो यह बंदा यूरोपीय नस्ल का क्यों दिखता है ?

    ये तो हुई प्रजाति की बात लेकिन वास्तव में ग्रंथो में आर्य उन्हें बताया गया है जिनका कर्म और व्यक्तित्व श्रेष्ठ हो ।
    आर्य कोई भी हो सकता है ।

    इसलिए राम कृष्ण बुद्ध महावीर के इतिहास जानने का प्रयास कर रहे हो तो इन टूटे फूटे बिना कोई सन्दर्भ वाले तथ्यों से भरे आर्टिकल पढ़ने से कुछ नही होगा ।
    पूरा जीवन निकल जायेगा 2600BC से अब तक कि संस्कृति के अध्ययन में ।
    और रही ऋग्वेद में श्री कृष्ण के वर्णन की बात तो ऋग्वेद 1500 BC के आसपास लिखा गया वही राम अवतार शर्मा की प्राचीन भारत (Old NCERT) नामक पुस्तक में कुरू कुल के पांडवो और कौरवों के बीच महाभारत युद्ध का वर्णन 950BC का बताया गया है ।
    श्री कृष्ण का सम्बन्ध भी महाभारत काल से है और कोई मानव अधिकतम 100 वर्ष से अधिक जीवित नही रह सकता है इसलिए ऋग्वेद में श्री कृष्ण का होना बस एक अतिश्योक्ति प्रतीत होता है ।

    वही वास्तव में महाभारत और रामायण का लेखन 300ईसवी के बाद गुप्तकाल में हुआ अब तक ये लोककथाओं के रूप में ही प्रचलित था ।

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