Thursday, 25 August 2016

मोटी- कहानी

चंचल का दिल आज फिर टूट गया था , टूटे भी क्यों न आखिर तीसरी बार उसको लड़के वालो ने इसलिये नापसन्द कर दिया था की वह थोड़ी ज्यादा ' मोटी' है ।
वह उदास सी अपने कमरे बैठी खिड़की से बाहर झाँक रही थी उसे रह रह के याद आ रहा था की क्या क्या नहीं किया था उसने पतली होने के लिए ।

घी चिकनाई  युक्त और बाजार का खाना तो  बिलकुल बंद कर दिया था  यंहा तक की बचपन से  सबसे पसन्दीदा  गर्म गर्म  समोसे को खाना तो अलग उसे देखना तक बन्द कर दिया था ।सुबह खाली पेट नीबू पानी,शहद  भी पिया , पूरे पूरे दिन भूखी रही केवल सलाद खाया पर रत्ती भर फर्क न पड़ा ।

हाँ, उसे वह भी याद है जब टीवी में सोना बैल्ट का विज्ञापन देख के उसके पिता जी उसके लिए बैल्ट खरीद लाये थे,
टीवी में कैसे दिखाते हैं मोटी लड़की ने बैल्ट पहना और पतली हो गई ।
एक अंग्रेज मुंह बना बना हिंदी में बोलता है "पहले मैं बहुत मोटा था... मुझ्र सब लोग मोटा बोल के चिढ़ाते थे ... फिर मैंने सोना बैल्ट इस्तेमाल किया और मैं एक दम से पतला हो  गया"

पर हाय रे! बैल्ट भी काम न आई ,बैल्ट खुद ढीली हो गई पर कमर कम न हुई ।चंचल का जी में आया की ऐसी फ्रॉड विज्ञापन बेचने वालो के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करे।उस मुंह बना के हिंदी बोलने वाले अंग्रेज का मुंह नोच ले  ,पर आह भर के चुप रही ।

सुबह उठ के टीवी में आने वाला योगा का प्रोग्राम देख के कमर हिलाई , सर के बल पर खड़ा होने की कोशिश की तो ऐसी गिरी की बस मत पूछो कम से कम 10 दिन गर्दन में मोच रही तब से योगा का चैनल देखना ही छोड़ दिया।

 चंचल बैड से उठी और सूनी और खामोश आँखों से खिड़की के नीचे झांकने लगी , बाहर लोग आ जा रहे थे ।पतली पतली सुंदर लड़कियो आते जाते देख चंचल की आँखों में आंसू आ गए ।कितना मन होता था उसका भी जीरो फिगर वाली  पतली लड़कियो की तरह  स्लिम जीन्स और स्लीवलैस टॉप पहनने का पर ... पर ..आह! थुलथुली बांह और थाई साफ़ पता चलती ,कितनी शर्म लगती थी उसे खुद पर ... बिलकुल पहलवान सी लगती ।

और हाँ! वह मामा के लड़के की शादी कैसे भूल सकती है , मामा की लड़की अंजली ,हूँ .. अंजली ! जाने क्या समझती है अपने को पतली छिपकली सी! आई बड़ी जीरो फिगर वाली ....खुद को विपासा बासु समझती है ।अंजली का स्मरण करते ही चंचल के  ह्रदय में ईर्ष्या और जलन का ज्वारभांटा उमड़ने लगा ।

मामा के लड़के की शादी में अंजली ने साडी पहनी थी और उस पर बैकलेस ब्लाउज , पतली कमर पर  स्टोन की फेशनेबल  तगड़ी .... कमीनी ! चंचल ने मन ही मन फिर कोसा अंजली को ... हूँ ! बेवकूफ लड़के ...लट्टू हो रहे थे उस पर।

चंचल ने भी साडी बाँधी थी पर कमर और पेट का पता ही नहीं चल रह था ,उपर से पेट का मांस दोहरा होके लटक गया था ।चंचल कमर क्या दिखाती उसे तो शर्म के कारण पेट को भी साड़ी से ढंकना पड़ा था ।तगड़ी भी न दिखा पाई थी किसी को ,बाद में गुस्से में आके तगड़ी उतार के फेंक दी थी ।

अंजली सुबह फेरो तक बार बार चंचल के आस पास ही मंडराती रही और बात बात पर खिल खिला के हंसती रही जैसे चंचल पर ही हंसी के व्यंग वाण चला रही हो ।चंचल कितने ही खून के घूंट पी के रह गई थी ।

चंचल को वह दिन भी याद आया जब पापा ने उसे दौड़ लगाने के लिए कहा था ।पापा उसके लिए स्पोर्ट शू भी ले आये थे , चंचल ने  सुबह 5 बजे उठ के दौड़ना भी शुरू कर दिया था ।

चार -पांच दिन तक तो सब ठीक रहा पर एक बार  सुबह के तकरीबन पांच बजे होंगे चंचल सड़क पर दौड़ लगा रही थी , एक जगह स्ट्रीट लाइट नही होने के कारण अँधेरा था ।
अचानक चंचल का पैर एक सो रहे कुते पर पड़ गया ,फिर क्या था कुते ने चंचल को दौड़ा दौड़ा के काटा । किसी तरह लोगो ने सहारा दे के चंचल को घर तक पहुँचाया था , कुत्ते ने गुस्से में चंचल के जूते तक फाड़ दिए थे ।
पुरे 14 इंजेक्शन लगाये थे डॉक्टर ने और कितने ही दिन तक बिस्तर पर लेटा रहना पड़ा था उसे  , तब से दौड़ लगाने के नाम से भी काँप जाती है चंचल ।


चंचल इन्ही सब यादो में खोई हुई थी की उसे पता ही न चला की कब उसकी मम्मी उसके पीछे आके के खड़ी हो गईं थी ।जब उन्होंने चंचल के कंधे पर हाथ रखा तो चंचल चौंकते हुए बोली -
" मम्मी आप!" चंचल ने त्वरित अपनी नम आँखों को पोछते हुये कहा

चंचल की माँ ने उसका सर पर हाथ फेरते हुए अपने सीने से लगा लिया और पुचकारते हुए बोलीं-
" दुखी मत हो मेरी बच्ची ... तू बहुत सुंदर है ! कौन कहता है की तू मोटी है ? जो कहते हैं वे बकवास करते हैं "
माँ की बाते सुन चंचल उनके गले से लिपट गई , दो आंसू की  बुँदे  उसके गालो पर लुडक गएँ ।

कुछ दिन बाद ।

बस खचा खच भरी हुई थी , जितने लोग सीट्स पर बैठे थे उससे अधिक खड़े थे ।चंचल को सीट नहीं मिली थी जिस कारण वह कानो में हैड फोन लगाये सीट के सहारे खड़ी हुई भीड़ से बेखबर गाने सुन रही थी ।
उससे थोड़ी ही दूर पर दो लड़कियां भी खड़ी थीं पतली और खूबसूरत  , चंचल की नज़र बरबस ही कभी कभी उन पर पड़ जाती तो तुरंत ही नजरे हटा लेती ।जैसे उन लड़कियों का पतला होना चंचल के मोटापे को जीभ चिढ़ा रहा हो ।
बस एक स्टेण्ड पर रुकी तो बहुत सी सवारियां और चढ़ गईं , चंचल सीट्स के बगल में खड़ी गाने सुनने में अब भी मगन थी ।

कुछ देर बाद उस की नजर अचानक उन पतली लड़कियो पर पड़ी तो देखा की लडकिया चुप हैं और परेशान सी लग रही है ।चंचल ने गौर से देखा तो दो लड़के उन लड़कियो के पीछे खड़े थे जो बार बार उन लड़कियो से जानबुझ के टकरा रहे थे ।लडकिया जितना हटती लड़के उतना ही उनसे अपना आगे का शरीर स्पर्श कर देते ।
चंचल सारा माजरा समझ गई थी की लड़के उन लड़कियो के साथ छेड़ छाड़ कर रहे थे और लड़कियां उनकी हरकतों से विचलित हैं।

चंचल ने आस पास देखा तो बस में कई लोग उन लड़को की गन्दी हरकते देख रहे थे पर सब देख के अनदेखा सा कर दे रहें है , जैसे किसी को कोई मतलब ही न हो ।
चंचल ने लोगो का उपेक्षित व्यवहार देखा तो उसे बड़ा बुरा सा लगा , पर फिर उसने सोचा की जब कोई नहीं बोल रहा है तो उसे भी क्या गरज पड़ी है ? यह सोच वह फिर गाने सुनने में व्यस्त हो गई ।

किन्तु उसकी नजरे उन लड़को की हरकतों पर गड़ी रही , कुछ क्षण बाद उसने देखा की एक लड़के जिसने नीली सी शर्ट पहन रखी थी उसने एक लड़की के नितम्बो को जोर से दबा दिया ।लड़की ने चीखने के साथ जोरदार तमाचा नीली शर्ट वाले लड़के के गालो पर जड़ दिया ।

चांटा पड़ते ही कुछ पल के लिए दोनों लड़के सकपका गए पर अगले ही क्षण नीली शर्ट वाले ने भी लड़की को भद्दी सी गाली देते हुए चांटा मारा ।दूसरे लड़के ने तुरंत मुंह से सर्जिकल ब्लेड निकाल लिया और दोनों उंगलियो में फंसा के चेतावनी भरे लहजे में बोला- साला!कोई बीच में आया तो गाल पर भारत का नक्शा खीच दूंगा "

बस के सभी यात्री सहम से गए , बस में अधिकतर रोज के ही पैसेंजर थे और वे इन जेबकतरो को पहचानते थे की कितने खतरनाक हैं ये लोग पूरा गैंग था इनका ।कई महीने पहले कंडक्टर ने रोका था इन्हें एक की जेब काटते हुए , बाद में कंडक्टर को चाक़ू मार दिया था भरी बस में  इन लोगो ने तब से कोई विरोध नहीं करता था इनका ।

नीली शर्ट वाले की लड़की के साथ अभद्रता बढ़ गई , फिर उन्होंने लड़कियो का हैंडबैग छीना और निकास द्वार की तरफ भागने लगे  ।पीछे लडकियाँ चीख रहीं थी ।

वे चंचल के पास से गुजरे , चंचल ने बिजली सी तीव्रता से नीली शर्ट वाले लड़के का कालर पकड़ लिया और पूरी ताकत से थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना तेज था की नीली शर्ट वाले के कान से तेज खून की धार निकली ।उसके मुंह से चीख तक न निकली और धड़ाम से बस की  फ्लोर पर चित्त गिर गया ।
किसी को समझ ही नहीं आया की आखिर हुआ क्या ,बस तेज ध्वनि सुनाई दी थी चांटे की ।

ब्लेड वाला लड़का नीली शर्ट वाले के आगे था , जब उसने मुड़ के देखा तो उसका साथी नीली शर्ट वाला बस के फ्लोर पर चित्त पड़ा हुआ था  था ।वह हतप्रभ कुछ क्षण के लिये जड़ खड़ा रहा ,शायद उसे यकीं न हो रहा था की एक लड़की उसके साथी का सिर्फ एक थप्पड़ में यह हाल कर सकती है ।
फिर उसे अपनी उंगलियो के बीच फंसे ब्लेड का ध्यान आया और उसने गाली देते हुए चंचल पर ब्लेड चला दिया ।
जेबकतरे की उंगलियो में फंसे सर्जिकल ब्लेड के बारे में चंचल को ज्ञात था अतः उसने उसकी उंगलियो से बचते हुए कलाई पकड़ ली ।

चंचल ने जेबकतरे की कलाई पकड़ के कलाइ पर पूरा जोर लगा दिया ।
"कटाक" की  आवाज करते हुए जेबकतरे की कलाई ऐसे टूट गई जैसे किसी ने झाड़ू की सींक को बीच में से तोड़ दिया हो ।असहनीय दर्द के कारण जेबकतरा ऐसे कर्दन कर उठा जैसे हलाल करते वक्त कोई बकरा ।

अब जैसे लोगो में भी हिम्मत आ गई उन्होंने जेबकतरो को पकड़ लिया, ड्राइवर ने बस सीधा थाने पर जा खड़ी कर दी , सभी लोग चंचल के साहस की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे थे ।

अगले दिन सुबह अखबार में चंचल की फोटो के साथ उसके साहस की कहानी छपी हुई थी ।
चंचल ने अख़बार पर नजर डाली तो मुस्कुरा दी , जैसे आज उसे अपने मोटापे से कोई शिकायत न थी ।

बस यंही तक थी कहानी.....

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