"हैलो!..कैसी है ?मैं भी ठीक हूँ ... अरे! मत पूछ "
"हुंअ .... बिलकुल ही ओल्ड फैशन ...वो क्या बोलते हैं उसे हिंदी में ! हाँ पुरातन मानसिकता ...ओहो ! मेरी सास तो ऐसी है ... पुराने ख्यालो की , हर बात में रोक टोक
.... हूँ ... बिलकुल गाँव की....सुनती ही नहीं ...... बस या तो मंदिर चली जाएँगी या घर पर बोर करती रहेंगी ... हे ..हे..हे तू समार्ट फोन चलाने की बात कर रही है .. टीवी का रिमोर्ट सही से चला लें वही बहुत है उनके लिए "
ये बाते हो रही थी सुधा की अपनी सहेली से , फोन की दूसरी तरफ सुधा की सहेली निधि थी जिससे सुधा अपने सास की कमियां गिनाते नहीं थक रही थी ।
सुधा का विवाह 2 साल पहले चंदन से हुआ था ,वह शहर में पढ़ी लिखी एक मार्डन लड़की थी ।
सुधा की सास विमला देवी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे से जंहा ग्रामीण परिवेश अधिक था पली बढ़ी और शिक्षित हुईं थी ।
पति नरेश कुमार की दिल्ली में नौकरी थी अतः यंही बस गए विमला देवी के साथ ।चंदन इकलौता लड़का जिसकी शादी सुधा से हुई थी ।
ग्रामीण परिवेश की होने के नाते विमला देवी का स्वभाव भी सरल और सीधा सा ही था , जो मिल गया पहन लिया और जैसा मिल गया खा लिया ।पर या सुधा को यही बात अच्छी नहीं लगती थी , उसको लगता था की उसकी सास गंवार है ।
" अरे ! मत पूछ निधि उस दिन हम सब होटल गए थे खाना खाने .... मैंने कितनी बार कहा की मम्मी जी नए फैशन की साडी पहन लो ... पर मानी ही नहीं .... वही पीली सी साडी पहन के चल दिन .... तेरी क़सम निधि मुझे तो बहुत बुरा फील हुआ ... वेटर हमारी तरफ ही घूरे जा रहा था ..... उंह" सुधा अब भी निधि से फोन पर लगी हुई थी ।
" अच्छा चल ठीक है .... रखती हूँ ... सासु माँ आने वाली होंगी मंदिर से ..... बाद में बात करती हूँ " सुधा ने फोन काटते हुए कहा ।
पर विमला देवी तो पहले ही आ चुकी थीं , वे चुपचाप दरवाजे की ओट लिए सुधा की सारी बाते सुन रही थी ।
एक आघात सा लगा विमला देवी को सुधा की बाते सुन के , एक मन किया की सुधा से खूब लड़ाई करें की उसकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की ।
पर यह सोच के चुप हो गईं की सच तो है ही की वे बहु के सामने 'गंवार ' ही हैं ।अतः चुप चाप अपमान का घूंट पी गईं।
कुछ दिन बाद विमलादेवी खाना खा के सोने की तैयारी कर रहीं थी की अचानक उनके पति नरेश ने एक पैकेट विमलादेवी की ओर बढ़ाते हुए बोले-
" हैप्पी बर्थ डे डियर विमला .... हैप्पी बर्थ डे टू यू...हा हा हा .. " हँसते हुए पैकेट विमलादेवी के हाथ में रख दिया ।
" यह तो आपको मेरा जन्मदिन याद था ?" विमलादेवी ने चेहरे पर मुस्कान लिए गोल आँखे करते हुए पूछा ।
" अरे कैसे भूल जाता ? तुम क्या मुझे भुल्लकड़ समझने लगी जरा सा बुढ़ापे में " नरेश जी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा ।
" अरे बाबा ! आप तो अभी जवान हैं ... बस! " विमलादेवी ने हँसते हुए कहा ।
" पैकेट खोले के तो देखो मेरी जान! " नरेश जी ने विमलादेवी के गालो पर चिकोटी काटते हुए कहा ।
" फोन!!!" पैकट खोलते ही उसमे रखे बड़े और चमचमाते हुए फोन को देखा विमलादेवी ने लगभग आश्चर्य से चीखते हुए कहा ।
" ओहो! स्मार्ट फोन कहो ..... स्मार्ट " नरेश जी ने थोडा गर्व से कहा ।
" पर मैं क्या करुँगी ? मुझे तो चलाना भी नहीं आता इसे ?" विमला देवी ने निराशा भरे लहजे में कहा ।
" सुधा से सीख लेना" नरेश जी ने हल बताते हुए कहा ।
" सुधा से नहीं सीखना मुझे " विमलादेवी ने सुधा के नाम से थोडा चिढ़ते हुए कहा ।
नरेश जी ने कुछ सोचते हुए कहा " ठीक है फिर मैं ही सीखा दूंगा .... रात में ऑफिस से आने के बाद "
" अब सुधा और चंदन को दिखा दो अपना फोन " नरेश ने मुस्कुराते हुए कहा ।
पर विमलादेवी को लगा की सुधा फिर उनका मजाक बनाएगी इसलिए किसी को भी फोन दिखाने से मना कर दिया ।उसने तर्क दिया की जब वह सीख जायेगी फोन चलाना तब सरप्राइज देगी सबको ।नरेश जी भी मान गए विमलादेवी की बात ।
तो, अगले रात से शुरू हुई विमलादेवी की स्मार्ट फोन की ट्रेनिंग क्लास ।
शुरू में विमला को कुछ समझ न आया , पर धीरे धीरे रूचिकर लगने लगा था उसको ।कंहा वह छोटा सा नोकिया का फोन जिसमे सिर्फ सांप वाला गेम और सिर्फ कुछ रिंगटोन और कंहा यह बड़ी और डिजिटल स्क्रीन वाला फोन ।जब भी वह फोन खोलती फोन के स्वप्नलोक में खो जाती ।
अब वह कई लेबल तक और कई गेम खेल सकती थी ,वीडियो देख सकती थी ,फोटो भी खींच सकती थी ।
रोज रात को नरेश जी से घण्टो फोन के फंक्शन के बारे में अधिक से अधिक जानकारी लेने की कोशिश करती ।कभी कभी तो नरेश जी भी खीज जाते थे ।
पर अभी तक सुधा को भनक तक न लगने दी थी विमला जी ने अपने स्मार्ट फोन की ।
अब तो नेट के बारे में भी पता चल गया था विमला जी को सो 2 gb का नेटपैक रिचार्ज करवा लिया ।
नरेश जी से किसी तरह मान मुन्वल कर विभिन्न साइट्स पर जा वीडियो और गाने भी डाउनलोड करना सीख लिया था । मंदिर में जा अपने नए डाउनलोड भजन का वीडियो चला देती आरती के समय। रोज नए नए भजन अपने फोन से मंदिर के स्पीकर में लगा देती , सारी महिलाएं आश्चर्य करतीं ।
जंहा कीर्तन में विमलादेवी को सबसे पीछे जगह मिलती अब वंही सबसे आगे की सीट उनके लिए रिजर्व रहती ।अब भैया ! विमला जी लीडर बन गईं थी भजन मण्डली की , मजाल है की उनके बिना मंदिर में कोई कुछ कार्यकर्म कर लें ।अपनी विमलादेवी जी भी फूल के कुप्पा हो रही थीं अपनी इस सम्मान पर ,उनकी तो चाल और लहजा ही बदल गया था ... एक दम लीडर टाइप फील।
पर विमलादेवी का असली झटका अभी बाकी था ।
एक दिन दरवाजे की घण्टी बजी तो सुधा ने दरवाजा खोला, सामने एक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी का डिलिवरी बॉय था जो हाथ में एक पैकेट लिए खड़ा था ।
" विमलादेवी " डिलिवरी बॉय ने पूछा ।
"अ..हाँ .... बुलाती हूँ " सुधा को हैरानी हो रही थी की यह ऑनलाइन शॉपिंग किसने की ।
विमला देवी आई और मुस्कुराते हुए साइन किया और पैसे देके पैकेट ले लिया ।
" क्या है यह ? आपने मंगवाया है ऑनलाइन?" सुधा ने आश्चर्य से पूछा ।
"कुछ नहीं! बस एक साड़ी है ..... " विमलादेवी ने लापरवाही से मुस्कुराते हुए बस इतना कहा और अपने कमरे में चली गई ।
सुधा विचलित थी , उसे समझ नहीं आ रहा था की उसकी सास ने कैसे ऑनलाइन आर्डर दे दिया था ? कैसे शॉपिंग करी ?
विमलादेवी अपने कमरे के दरवाजे की की होल से सुधा को देख रही थीं। सुधा को परेशान और आश्चर्यचकित देख उन्हें घनघोर आनंद की अनुभूति हो रही थी ।
फिर तो आये दिन कुछ न कुछ ऑनलाइन शॉपिंग डिलिवरी होने लगी थी । सुधा हैरान परेशान रहती ,उसने कई बार चंदन से इस बारे में जिक्र भी किया पर चंदन ने इसे अनसुना सा कर यह कह के टाल दिया की माँ को कँहा आता है ऑनलाइन शॉपिंग ,माँ किसी और से बुक कराती होगी ।
अब तो सुधा को विमलादेवी दिन बी दिन और बदलती नजर आ रही थीं ।
नए नए कलर की लिपस्टिक , नेलपॉलिश जो खुद सुधा की कलेक्शन में नहीं थे वैसे कलर लगाती थी विमलादेवी ।
बाल भी एक दम नए स्टाइल का कटवा लिया था जिनपर बरगेंड़ी कलर ।
सुबह सुबह जोगिंग शू पहन जोगिंग के लिए भी नरेश जी को जबरजस्ती अपने साथ ले जाती ।नरेश जी और चन्दन विमला के इस नए अवतार को लेके बहुत खुश थे ।
पर सुधा मन ही मन जल भुन जाती ।उसे तो अब भी समझ नहीं आ रहा था की यह चमत्कार हो कैसे रहा है ।
फोन का राज अब भी विमलादेवी जी ने राज ही रखा था ।
एक दिन परिवार ने फिर होटल में खाना खाने का प्रोग्राम रखा ।सुधा तैयार होके ड्राइंग हाल में विमलादेवी का इन्तेजार करने लगी , सुधा ने अपने हिसाब से सबसे अच्छी साड़ी पहनी थी और मेकअप किया था ।बहुत ही सुंदर लग रही थी ।
विमला देवी ने अपने कमरे के दरवाजे के की-होल से सुधा को देखा और मुस्कुरा दीं । उन्होंने फटा-फट फोन पर एक साडी बाँधने वाली वेवसाइट खोली जो सैकड़ो तरह की साड़ी पहनना सिखाती थी ।
विमलादेवी वीडियो देखती रहीं और वही साड़ी जो उन्होंने ऑनलाइन ऑर्डर देके मंगाई थी पहननी शुरू कर दी , यह एक बेहद खूबसूरत रेशमी कांजीवरम साड़ी थी ।
साड़ी पहनने के बाद विमलादेवी ने मैचिंग की नेलपॉलिश लगाई , मैचिंग की ही हाई हील सैंडल पहनी जिसमे लगे स्टोन अलग ही छठा बिखेर रहे थे ।यह सब उन्होंने अपने स्मार्ट फोन से ऑनलाइन मंगाए थे ।
ऑनलाइन वीडियो चला उन्होंने अपने बालो को करीने से नया लुक दिया , ऐसा लग रहा था की उन्होंने पहले ही वीडियो देख देख के अभ्यास कर लिया था और आज फाइनल प्रयोग कर रहीं थी अपने ऊपर ।बालो को सजाने के बाद मेकअप किया जो की बिलकुल उनकी पर्सनाल्टी पर सूट कर रहा था ।
इधर सुधा और सभी तैयार होके विमलादेवी का ही इन्तेजार कर रहे थे , सुधा को लग रहा था की कंही मम्मी ओवर मेकअप न कर लें इस बार और पहले की तरह होटल में बेज्जती करवा दें।
थोड़ी देर में विमलादेवी अपने कमरे से पर्स लेके निकली ।
गजब!
अद्भुत!!
उत्कृष्ट !!!
विमलादेवी जैसे विमलादेवी न होके कोई दूसरी ही हो ।चेहरा बुढ़ापे के सारे चिन्ह गायब कर नई आभा बिखेर रहा था, बहुत ही करीने से गुथा हुआ जुड़ा ।साडी ऐसे पहनी हुई थी की जैसे किसी प्रोफेसनल ने पहनाई हो , परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबु विमलादेवी जी के सौंदर्य और व्यक्तित्व में चार चाँद लगा रहा था ।
सभी लोग मन्त्रमुग्ध विमलादेवी के इस नए रूप को देख रहे थे , तभी जैसे नरेश जी को होश आया हो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा -
" वाह वाह विमला ... सच में तुमने कमाल कर दिया !!...यार मैं सच में तुम्हारे सामने बूढ़ा लग रहा हूँ " इतना कहा नरेश जी ठहाका मार हँस दिए ।
" माँ सच में आपने जादू कर दिया .... अरे आप तो सुधा की बड़ी बहन लग रही हैं " अब चन्दन की बारी थी तारीफ करने की ।
विमलादेवी केवल मुस्कुरा दी ,उनकी तिरछी नजर सुधा पर ही थी ।
किन्तु सुधा तो जैसे निशब्द थी , उसे समझ नहीं आ रहा था की यह कैसे हुआ ।सुधा खुद को विमलादेवी के आगे कमतर पा रही थी ।
सभी लोग कार में बैठ होटल की तरफ चल दिए ।
तभी सुधा के फोन पर निधि का फोन आया ।निधि आश्चर्य से पूछ रही थी -
" सुधा! तेरी सासु माँ की whatsapp पर रिक्वेस्ट आई है ... तू तो कर रही थी की उन्हें स्मार्ट फोन नहीं चलाना आता है "
सुधा ने सुना तो बिना कुछ जबाब दिए फोन काट दिया , उसने अपने फोन पर नजर डाली तो whatsapp नोटिफिकेशन में विमलादेवी का मैसेज दिखा रहा था ।उसने क्लिक किया तो विमलादेवी की फोटो सहित एक 'hi' का मैसेज था ।
सुधा ने घोर आश्चर्य से विमलादेवी की तरफ देखा तो विमला देवी ने व्यंगात्मक मुस्कुराहट लिए पूछा -
" कैसी लग रही है तुम्हारी मोर्डन सास?"
सुधा ने अपराधबोध से सर नीचे कर लिया और कहा -
" मुझे माफ़ कर दीजिये "
विमलादेवी ने आगे बढ़ के सुधा को गले लगा लिया ।
बस यंही तक थी कहानी ....
फोटो साभार गूगल
"हुंअ .... बिलकुल ही ओल्ड फैशन ...वो क्या बोलते हैं उसे हिंदी में ! हाँ पुरातन मानसिकता ...ओहो ! मेरी सास तो ऐसी है ... पुराने ख्यालो की , हर बात में रोक टोक
.... हूँ ... बिलकुल गाँव की....सुनती ही नहीं ...... बस या तो मंदिर चली जाएँगी या घर पर बोर करती रहेंगी ... हे ..हे..हे तू समार्ट फोन चलाने की बात कर रही है .. टीवी का रिमोर्ट सही से चला लें वही बहुत है उनके लिए "
ये बाते हो रही थी सुधा की अपनी सहेली से , फोन की दूसरी तरफ सुधा की सहेली निधि थी जिससे सुधा अपने सास की कमियां गिनाते नहीं थक रही थी ।
सुधा का विवाह 2 साल पहले चंदन से हुआ था ,वह शहर में पढ़ी लिखी एक मार्डन लड़की थी ।
सुधा की सास विमला देवी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे से जंहा ग्रामीण परिवेश अधिक था पली बढ़ी और शिक्षित हुईं थी ।
पति नरेश कुमार की दिल्ली में नौकरी थी अतः यंही बस गए विमला देवी के साथ ।चंदन इकलौता लड़का जिसकी शादी सुधा से हुई थी ।
ग्रामीण परिवेश की होने के नाते विमला देवी का स्वभाव भी सरल और सीधा सा ही था , जो मिल गया पहन लिया और जैसा मिल गया खा लिया ।पर या सुधा को यही बात अच्छी नहीं लगती थी , उसको लगता था की उसकी सास गंवार है ।
" अरे ! मत पूछ निधि उस दिन हम सब होटल गए थे खाना खाने .... मैंने कितनी बार कहा की मम्मी जी नए फैशन की साडी पहन लो ... पर मानी ही नहीं .... वही पीली सी साडी पहन के चल दिन .... तेरी क़सम निधि मुझे तो बहुत बुरा फील हुआ ... वेटर हमारी तरफ ही घूरे जा रहा था ..... उंह" सुधा अब भी निधि से फोन पर लगी हुई थी ।
" अच्छा चल ठीक है .... रखती हूँ ... सासु माँ आने वाली होंगी मंदिर से ..... बाद में बात करती हूँ " सुधा ने फोन काटते हुए कहा ।
पर विमला देवी तो पहले ही आ चुकी थीं , वे चुपचाप दरवाजे की ओट लिए सुधा की सारी बाते सुन रही थी ।
एक आघात सा लगा विमला देवी को सुधा की बाते सुन के , एक मन किया की सुधा से खूब लड़ाई करें की उसकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की ।
पर यह सोच के चुप हो गईं की सच तो है ही की वे बहु के सामने 'गंवार ' ही हैं ।अतः चुप चाप अपमान का घूंट पी गईं।
कुछ दिन बाद विमलादेवी खाना खा के सोने की तैयारी कर रहीं थी की अचानक उनके पति नरेश ने एक पैकेट विमलादेवी की ओर बढ़ाते हुए बोले-
" हैप्पी बर्थ डे डियर विमला .... हैप्पी बर्थ डे टू यू...हा हा हा .. " हँसते हुए पैकेट विमलादेवी के हाथ में रख दिया ।
" यह तो आपको मेरा जन्मदिन याद था ?" विमलादेवी ने चेहरे पर मुस्कान लिए गोल आँखे करते हुए पूछा ।
" अरे कैसे भूल जाता ? तुम क्या मुझे भुल्लकड़ समझने लगी जरा सा बुढ़ापे में " नरेश जी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा ।
" अरे बाबा ! आप तो अभी जवान हैं ... बस! " विमलादेवी ने हँसते हुए कहा ।
" पैकेट खोले के तो देखो मेरी जान! " नरेश जी ने विमलादेवी के गालो पर चिकोटी काटते हुए कहा ।
" फोन!!!" पैकट खोलते ही उसमे रखे बड़े और चमचमाते हुए फोन को देखा विमलादेवी ने लगभग आश्चर्य से चीखते हुए कहा ।
" ओहो! स्मार्ट फोन कहो ..... स्मार्ट " नरेश जी ने थोडा गर्व से कहा ।
" पर मैं क्या करुँगी ? मुझे तो चलाना भी नहीं आता इसे ?" विमला देवी ने निराशा भरे लहजे में कहा ।
" सुधा से सीख लेना" नरेश जी ने हल बताते हुए कहा ।
" सुधा से नहीं सीखना मुझे " विमलादेवी ने सुधा के नाम से थोडा चिढ़ते हुए कहा ।
नरेश जी ने कुछ सोचते हुए कहा " ठीक है फिर मैं ही सीखा दूंगा .... रात में ऑफिस से आने के बाद "
" अब सुधा और चंदन को दिखा दो अपना फोन " नरेश ने मुस्कुराते हुए कहा ।
पर विमलादेवी को लगा की सुधा फिर उनका मजाक बनाएगी इसलिए किसी को भी फोन दिखाने से मना कर दिया ।उसने तर्क दिया की जब वह सीख जायेगी फोन चलाना तब सरप्राइज देगी सबको ।नरेश जी भी मान गए विमलादेवी की बात ।
तो, अगले रात से शुरू हुई विमलादेवी की स्मार्ट फोन की ट्रेनिंग क्लास ।
शुरू में विमला को कुछ समझ न आया , पर धीरे धीरे रूचिकर लगने लगा था उसको ।कंहा वह छोटा सा नोकिया का फोन जिसमे सिर्फ सांप वाला गेम और सिर्फ कुछ रिंगटोन और कंहा यह बड़ी और डिजिटल स्क्रीन वाला फोन ।जब भी वह फोन खोलती फोन के स्वप्नलोक में खो जाती ।
अब वह कई लेबल तक और कई गेम खेल सकती थी ,वीडियो देख सकती थी ,फोटो भी खींच सकती थी ।
रोज रात को नरेश जी से घण्टो फोन के फंक्शन के बारे में अधिक से अधिक जानकारी लेने की कोशिश करती ।कभी कभी तो नरेश जी भी खीज जाते थे ।
पर अभी तक सुधा को भनक तक न लगने दी थी विमला जी ने अपने स्मार्ट फोन की ।
अब तो नेट के बारे में भी पता चल गया था विमला जी को सो 2 gb का नेटपैक रिचार्ज करवा लिया ।
नरेश जी से किसी तरह मान मुन्वल कर विभिन्न साइट्स पर जा वीडियो और गाने भी डाउनलोड करना सीख लिया था । मंदिर में जा अपने नए डाउनलोड भजन का वीडियो चला देती आरती के समय। रोज नए नए भजन अपने फोन से मंदिर के स्पीकर में लगा देती , सारी महिलाएं आश्चर्य करतीं ।
जंहा कीर्तन में विमलादेवी को सबसे पीछे जगह मिलती अब वंही सबसे आगे की सीट उनके लिए रिजर्व रहती ।अब भैया ! विमला जी लीडर बन गईं थी भजन मण्डली की , मजाल है की उनके बिना मंदिर में कोई कुछ कार्यकर्म कर लें ।अपनी विमलादेवी जी भी फूल के कुप्पा हो रही थीं अपनी इस सम्मान पर ,उनकी तो चाल और लहजा ही बदल गया था ... एक दम लीडर टाइप फील।
पर विमलादेवी का असली झटका अभी बाकी था ।
एक दिन दरवाजे की घण्टी बजी तो सुधा ने दरवाजा खोला, सामने एक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी का डिलिवरी बॉय था जो हाथ में एक पैकेट लिए खड़ा था ।
" विमलादेवी " डिलिवरी बॉय ने पूछा ।
"अ..हाँ .... बुलाती हूँ " सुधा को हैरानी हो रही थी की यह ऑनलाइन शॉपिंग किसने की ।
विमला देवी आई और मुस्कुराते हुए साइन किया और पैसे देके पैकेट ले लिया ।
" क्या है यह ? आपने मंगवाया है ऑनलाइन?" सुधा ने आश्चर्य से पूछा ।
"कुछ नहीं! बस एक साड़ी है ..... " विमलादेवी ने लापरवाही से मुस्कुराते हुए बस इतना कहा और अपने कमरे में चली गई ।
सुधा विचलित थी , उसे समझ नहीं आ रहा था की उसकी सास ने कैसे ऑनलाइन आर्डर दे दिया था ? कैसे शॉपिंग करी ?
विमलादेवी अपने कमरे के दरवाजे की की होल से सुधा को देख रही थीं। सुधा को परेशान और आश्चर्यचकित देख उन्हें घनघोर आनंद की अनुभूति हो रही थी ।
फिर तो आये दिन कुछ न कुछ ऑनलाइन शॉपिंग डिलिवरी होने लगी थी । सुधा हैरान परेशान रहती ,उसने कई बार चंदन से इस बारे में जिक्र भी किया पर चंदन ने इसे अनसुना सा कर यह कह के टाल दिया की माँ को कँहा आता है ऑनलाइन शॉपिंग ,माँ किसी और से बुक कराती होगी ।
अब तो सुधा को विमलादेवी दिन बी दिन और बदलती नजर आ रही थीं ।
नए नए कलर की लिपस्टिक , नेलपॉलिश जो खुद सुधा की कलेक्शन में नहीं थे वैसे कलर लगाती थी विमलादेवी ।
बाल भी एक दम नए स्टाइल का कटवा लिया था जिनपर बरगेंड़ी कलर ।
सुबह सुबह जोगिंग शू पहन जोगिंग के लिए भी नरेश जी को जबरजस्ती अपने साथ ले जाती ।नरेश जी और चन्दन विमला के इस नए अवतार को लेके बहुत खुश थे ।
पर सुधा मन ही मन जल भुन जाती ।उसे तो अब भी समझ नहीं आ रहा था की यह चमत्कार हो कैसे रहा है ।
फोन का राज अब भी विमलादेवी जी ने राज ही रखा था ।
एक दिन परिवार ने फिर होटल में खाना खाने का प्रोग्राम रखा ।सुधा तैयार होके ड्राइंग हाल में विमलादेवी का इन्तेजार करने लगी , सुधा ने अपने हिसाब से सबसे अच्छी साड़ी पहनी थी और मेकअप किया था ।बहुत ही सुंदर लग रही थी ।
विमला देवी ने अपने कमरे के दरवाजे के की-होल से सुधा को देखा और मुस्कुरा दीं । उन्होंने फटा-फट फोन पर एक साडी बाँधने वाली वेवसाइट खोली जो सैकड़ो तरह की साड़ी पहनना सिखाती थी ।
विमलादेवी वीडियो देखती रहीं और वही साड़ी जो उन्होंने ऑनलाइन ऑर्डर देके मंगाई थी पहननी शुरू कर दी , यह एक बेहद खूबसूरत रेशमी कांजीवरम साड़ी थी ।
साड़ी पहनने के बाद विमलादेवी ने मैचिंग की नेलपॉलिश लगाई , मैचिंग की ही हाई हील सैंडल पहनी जिसमे लगे स्टोन अलग ही छठा बिखेर रहे थे ।यह सब उन्होंने अपने स्मार्ट फोन से ऑनलाइन मंगाए थे ।
ऑनलाइन वीडियो चला उन्होंने अपने बालो को करीने से नया लुक दिया , ऐसा लग रहा था की उन्होंने पहले ही वीडियो देख देख के अभ्यास कर लिया था और आज फाइनल प्रयोग कर रहीं थी अपने ऊपर ।बालो को सजाने के बाद मेकअप किया जो की बिलकुल उनकी पर्सनाल्टी पर सूट कर रहा था ।
इधर सुधा और सभी तैयार होके विमलादेवी का ही इन्तेजार कर रहे थे , सुधा को लग रहा था की कंही मम्मी ओवर मेकअप न कर लें इस बार और पहले की तरह होटल में बेज्जती करवा दें।
थोड़ी देर में विमलादेवी अपने कमरे से पर्स लेके निकली ।
गजब!
अद्भुत!!
उत्कृष्ट !!!
विमलादेवी जैसे विमलादेवी न होके कोई दूसरी ही हो ।चेहरा बुढ़ापे के सारे चिन्ह गायब कर नई आभा बिखेर रहा था, बहुत ही करीने से गुथा हुआ जुड़ा ।साडी ऐसे पहनी हुई थी की जैसे किसी प्रोफेसनल ने पहनाई हो , परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबु विमलादेवी जी के सौंदर्य और व्यक्तित्व में चार चाँद लगा रहा था ।
सभी लोग मन्त्रमुग्ध विमलादेवी के इस नए रूप को देख रहे थे , तभी जैसे नरेश जी को होश आया हो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा -
" वाह वाह विमला ... सच में तुमने कमाल कर दिया !!...यार मैं सच में तुम्हारे सामने बूढ़ा लग रहा हूँ " इतना कहा नरेश जी ठहाका मार हँस दिए ।
" माँ सच में आपने जादू कर दिया .... अरे आप तो सुधा की बड़ी बहन लग रही हैं " अब चन्दन की बारी थी तारीफ करने की ।
विमलादेवी केवल मुस्कुरा दी ,उनकी तिरछी नजर सुधा पर ही थी ।
किन्तु सुधा तो जैसे निशब्द थी , उसे समझ नहीं आ रहा था की यह कैसे हुआ ।सुधा खुद को विमलादेवी के आगे कमतर पा रही थी ।
सभी लोग कार में बैठ होटल की तरफ चल दिए ।
तभी सुधा के फोन पर निधि का फोन आया ।निधि आश्चर्य से पूछ रही थी -
" सुधा! तेरी सासु माँ की whatsapp पर रिक्वेस्ट आई है ... तू तो कर रही थी की उन्हें स्मार्ट फोन नहीं चलाना आता है "
सुधा ने सुना तो बिना कुछ जबाब दिए फोन काट दिया , उसने अपने फोन पर नजर डाली तो whatsapp नोटिफिकेशन में विमलादेवी का मैसेज दिखा रहा था ।उसने क्लिक किया तो विमलादेवी की फोटो सहित एक 'hi' का मैसेज था ।
सुधा ने घोर आश्चर्य से विमलादेवी की तरफ देखा तो विमला देवी ने व्यंगात्मक मुस्कुराहट लिए पूछा -
" कैसी लग रही है तुम्हारी मोर्डन सास?"
सुधा ने अपराधबोध से सर नीचे कर लिया और कहा -
" मुझे माफ़ कर दीजिये "
विमलादेवी ने आगे बढ़ के सुधा को गले लगा लिया ।
बस यंही तक थी कहानी ....
बढिया !
ReplyDeleteआभार सिंघल साहब
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