Thursday 16 June 2016

क्या आप चर्म रोग के शिकार हैं?


चाहे सोसल साइट्स /ब्लॉग पर लिखे गए मेरे लेख हो या निजी जीवन , जब मैं धर्म मज़हबऔर ईश्वर की आलोचना करता हूँ तो कई बार लोग मेरा व्यक्तिगत रूप से कड़ा विरोध करते हैं।
उन्हें लगता है की धर्म मज़हब या ईश्वर की आलोचना उनकी  व्यक्तिगत  आलोचना है अतः कई लोगो ने मुझ से निजी तौर पर बोलना ही छोड़ दिया है ।मैंने ऐसे कई लोगो को खो दिया है जो कभी मेरे नजदीक थे या जानपहचान थी ।

बड़ा दुःख होता है , बड़ा कठिन है धर्म मजहब और ईश्वर की आलोचना यूँ सार्वजनिक रूप से करना .... बहुत कठिन है नास्तिक होना कभी कभी बहुत अकेला महसूस करता हूँ मैं ।

पर मैं जानता हूँ की बलपूर्वक लादी गई दासता से मानसिक दासता भयंकर और अधिक गहरी होती है । यही कारण है की लोग सरकार की आलोचना तो सह लेते हैं और कई बार ऐसा भी होता है की राजसत्ता ( राजनैतिक पार्टियो )की आलोचना से वे प्रसन्न भी होते है किन्तु धर्म मजहब की आलोचना जरा भी सहन नहीं कर पाते ।वे धर्म मजहब की आलोचना अपने पर किये गए हमला मानते हैं ।

जनमानस पर धर्म मज़हब की इतनी गहरी पकड़ का एकमात्र कारण धार्मिक मज़हबी शिक्षा है जिसमे हजारो सालो से उसे समाज का प्राण बताया बताया जाता रहा है ।
धर्म मज़हब को न मानाने या आसमानी किताबो की सत्ता स्वीकार न करने से परिवार टूटने, अपराध बढ़ने , समाज में अव्यवस्था फ़ैलाने यंहा तक की मरने के बाद भी छुटकारा न मिलने या स्वर्ग नर्क का लालच या डर बताया जाता रहा है ।इस प्रचार ने जनता को इतना अभिभूत कर दिया की उसे धर्म मजहब सांस की तरह लगने लगा जिसके बिना जीवन असम्भव है ।

जब लोगो को मैं बताता हूँ की यह रोग है तो लोग यही सोचते हैं उनके श्वास को रोग बता रहा हूँ और उनके जीवन की आलोचना कर रहा हूँ ।

धर्म मज़हब एक मीठी खुजली यानि चर्म रोग की तरह है जिसे खुजाने में बहुत मजा आता है , ये खुजली किसी मानसिक हुड़क की तरह उठती है जिसे जब तक खुजा न लिया जाए चैन नहीं मिलता ।
नसमझ लोगो को खुजाने में इतना आनंद आता है की यदि उन्हें खुजाने से रोको तो वे सलाह देने वाले को दुश्मन समझने लगते हैं।
किंतु समझदार लोग इसको खून में आये विकार समझ के इलाज करवाते हैं ।

इस चर्म रोग को बनाये रखने में ही धर्म मजहब के धंधेबाजो का फायदा है ,क्यों की जब व्यक्ति खुजाते हुए घाव बना लेगा तो उसकी मरहमपट्टी से ही कमाई कर के ये धर्म मजहब के धंधेबाज अपना पेट भरेंगे ।इसलिए ये धंधेबाज हमेशा रोग को बनाये रखने का प्रयत्न करते हैं ।

इसी लिए जब मेरे जैसा कोई धर्म मजहब नाम के चर्म रोग की आलोचना करता है तो वह दुश्मन नजर आता है ।वे इस रोग को समाज में पाले रखना चाहते है ताकि खुद पलते रहें।

पर मैं ठगों की आलोचना हमेशा करता रहूँगा ..... चाहे अकेला ही सही , समाज से चर्म रोग मिटाना जो है ।

क्या आप सब साथ देंगे ?

-केशव

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