Thursday 23 June 2016

नागिन डांस -कहानी




"चाचा जी नमस्ते "  दरवाजे पर रंगीन लड़ियाँ लगवाते हुए गोलू उर्फ़ ज्ञानप्रकाश ने पन्नालाल लाल को कार से उतरता देख आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी लिए नमस्ते कहते हुए  पैर छुए ।
" जीते रहो बेटा... सब ठीक है ?"पन्नालाल ने गोलू के सर पर प्यार से हाथ फेरा और पूछा ।
" जी सब ठीक है ... जब से सुना की आप आ रहे हैं सब  आपका ही इन्तेजार कर रहे हैं "गोलू ने खड़े होते हुए जबाब दिया ।
" बाकी सभी रिस्तेदर भी आ गए हैं की नहीं?पन्नालाल ने उत्सुकता से  गोलू से अगला प्रश्न किया ।
" मामी- मामा ,सुनीता मौसी  और गाँव वाले रिस्तेदार पहुँच चुके है बाकी  बचे हुए शाम तक या कल सुबह तक पहुँच जायेंगे " गोलू ने जबाब दिया ।
सुनीता मौसी का नाम सुनते ही पन्नालाल के होंठो पर एक मुस्कान आ गई ।

ड्राइवर ने कार सामान उतारा और गोलू के आदेश का अनुसरण करता हुआ सामान एक रूम में रख चला गया।


पन्नालाल , आज लगभग 15 साल बाद वह दिल्ली में वापस आया है वह भी जब उसके सबसे बड़े भाई के लड़के गोलू की शादी है ।

पन्नालाल के दो बड़े भाई और थे ,सबसे बड़ा नन्दलाल  और बीच का संतराम ।नंदलाल एक बैंक में क्लर्क था और गोलू उसी का बड़ा बेटा ।

 बीच का भाई संतराम दिल्ली नगर निगम में कार्यरत था । संतराम का रिश्ता आगरा की लड़की अनीता से तय हो चुका था , अनीता का टीचर ट्रेनिंग का आखरी साल कर रही थी अतः विवाह कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया ।

उसकी एक बहन थी सुनीता ... बेहद खूबसूरत ... पन्नालाल ने जब से उसे देखा था लट्टू हो गया था उस पर ।बेचारा , पूरा मजनूँ का बाप बन गया था आशिक़ो में ।

वह कोई न कोई बहाना कर महीने दो महीने में आगरा अनीता के घर जाने लगा , सुनीता के आगे पीछे भंवरा बन चक्कर काटता।
 सुनीता  कॉलेज में पढ़ने वाली और तेज तर्रार लड़की  थी जबकि पन्नालाल पढ़ने में कमजोर और दसवीं भी कमार्टमेंट से पास हुआ था ।

पन्नालाल का आगे पढ़ने का कोई इरादा नहीं था , इरादा भी क्या पढ़ने में मन ही नहीं लगता था उसका इसलिए पढाई छोड़ दी पर कारो में काफी रूचि थी इसके चलते उसने एक गैराज पर मकैनिक की नौकरी कर ली और कारो की मरम्मत करने लगा । गैराज में काम करने से और पढ़ाई में कमजोर होने के कारण अनीता पन्नालाल को कम ही पसन्द करती थी , वह उसे एक तरह से आवारा  ,कम पढ़ा लिखा और नाकामयाब लड़का समझने लगी थी अत: उसका बार बार आगरा में घर आना उसे पसन्द नहीं था और न ही सुनीता से ज्यादा  मिलना जुलना वह टोक भी देती थी पर पन्नालाल पर तो प्यार का भूत सवार था , मानता ही नहीं था ।

फिर आखिर वह दिन भी आ गया जब अनीता और संतराम की शादी होनी थी , बारात आगरा पहुंची । बारात में आगरे का मशहूर ' धमाका बैंड ' बुक किया हुआ था , बैंड का मुख्य आकर्षण था ' नागिन बैंड' ...एक रेहड़ी को चारो तरफ से बंद कर और रंगबिरंगी लाइट्स से सजा और  चारो कोनो में लाउडस्पीकर  बाँध दिए गए थे । ऊपर लिखा   था 'नागिन बैंड' जिस पर एक व्यक्ति खड़ा था ,

हाथ में माइक ल लिए और गले में बैंजो बांधे हुए फ़िल्मी गाने गा रहा था । मजे की बात यह थी की गाने वाले बन्दे में इतना' टैलेंट ' था की कभी लड़के की आवाज में गाना गाता तो कभी लड़की की आवाज में और फिर बैंजो भी खुद ही बजाता, यानि डियूट्स गानो में खुद ही मेल सिंगर की आवाज निकाल के गाता तो कभी फीमेल सिंगर की आवाज में वो अलग बात थी की न तो सही से मेल सिंगर की आवाज निकाल पा रहा था और न ही फीमेल सिंगर का पर बैंड की तेज धुन पर किसी को पता नहीं चल पा रहा था की वह क्या गा रहा है।

बारात के बच्चे - जवान तो नाच ही रहे थे बुड्ढे भी पीछे नहीं थे । कूदते फांदते बारात अनीता के दरवाजे पर पहुँच गई ,बारात देखने के लिए सारे घराती उमड़ पड़े, बारात दिल्ली से आई थी तो लोगो में दिल्ली की बारात देखने का कोतूहल था । सुनीता भी अपनी सहेलियों के साथ बारात देखने के लिए आगे आ गई । अनीता छत से अपनी सहेलियों के साथ बारात देखने पहुँच चुकी थी ।
सुनीता गुलाबी  साडी में सुंदर लग रही थी ...गजब!! जब पन्नालाल ने उसे देखा तो उसने सुनीता का रूप देख के अपना दिल थाम लिया,  उसका अपने मन पर काबू रखना नामुमकिन हो गया था उसने सोचा की आज हाले दिल कह ही देगा चाहे जो कुछ हो ।उसके मस्तिष्क में मुगले आज़म फ़िल्म का गाना 'आज कहंगे दिल का फ़साना ... जान भी लेले चाहे ज़माना " तेज तेज बजने लगा ... बन्दा सूली पर चढ़ने को तैयार पर पहला कदम कैसे बढ़ाये?? डर से बुरा हाल !

जब यह बात पन्नालाल ने अपने एक दोस्त मंगू को बताई .... मंगू तो खुद आज तक किसी लड़की से बात नहीं कर पाया था पर सलाह देने में एक्सपर्ट था  , उसने तुरंत चिर परचित सलाह दे दी-

" अबे ! ऐसे नहीं कह पायेगा अपने मन की बात ले दो पैग लगा फिर अपने आप हिम्मत आ जायेगी " मंगू ने पैग पन्नालाल की तरफ बढ़ाते हुए कहा ।थोडा न नुकार करने के बाद पन्नालाल चार पटियाला पैग खींच गया फिर क्या था ...पन्नालाल सुपरमैन बन चुका था ... वह चाहता तो उस समय धरती में घूसा मार पानी निकाल देता ।

इधर नागिन बैंड पर ' मेरा मन डोले मेरा तन डोले' धुन बज चुकी थी , नागिन बैंड का नागिन धुन सुन के अब  पन्नालाल बे- काबू हो गया ... बस! अब नागिन डांस करने दो उसे ... दोनों हाथ जोड़ के नागिन मुद्रा बना के कभी जमीन पर लोटता तो कभी घुटनो पर बैठ झूमता... सब लोग उसका डांस देख हंस के इंजॉय कर रहे थे ।
पन्नालाल नाचता नाचता सुनीता के पास पहुँच गया , एक पल के लिए उसने सुनीता को देखा और उसे अपनी बाँहो में उठा के फ़िल्मी स्टाइल में एक चुम्बन सुनीता के गालो पर जड़ दिया ।

सब घराती बाराती में सन्नाटा छा गया, किसी को समझ नहीं आया की क्या हुआ , सब जड़ हो गए ।अचानक एक तेज आवाज के साथ सन्नाटा भंग हुआ ' चटाक' ।

ये तेज चटाक की आवाज सुनीता के तमाचे की थी जो उसने पन्नालाल के गाल पर मारा था । सुनीता गुस्से में पन्नालाल को हजारो किस्म की गालियाँ देती से वंहा से चली गई ।पर अब पन्नालाल की तो शामत आ गई थी उसके  पिता जी ने  सारा ' सुरा-सुंदरी' का नशा अपने जूतो से वंही सबके सामने उतार दिया । सुनीता और उसके  के माता -पिता और बाकि रिस्तेदारो ने पन्नालाल को मारा भर नहीं पर उसकी इज्जत का फालूदा बना कूड़े में फेंक दिया ।

किसी तरह से बात को शांत किया गया और शादी की रस्म पूरी की गई , पन्नालाल सारी रात बारात की बस में बैठा रहा और किसी से नज़र नहीं मिला पाया खाना तक नहीं खाया था । सुबह बारात के चलने से पहले ही वह ट्रेन पकड़ के घर वापस आ गया था ।

जब अनीता घर आई तो उसने बहुत बुरा भला कहा पन्नालाल को , पन्नालाल से साफ साफ़  कह दिया की सुनीता उसे जैसे अनपढ़ और नालायक को पसन्द नहीं करती और यदि उसने सुनीता का पीछा नहीं छोड़ा तो बहुत बुरा होगा, बात पुलिस तक पहुँच सकती है ।सुनीता ने भीं अपनी बहन की हाँ में हाँ मिलाते हुए  उसे शुद्ध देशी स्टाइल में जी भर के गालियां सुनाई ।

आह!प्यार का पौधा खिलने से पहले ही उसे निष्ठुर  बकरी चर गई ....

बस!पन्नालाल अपनी बेज्जती बर्दाश्त कर सकता था , बाप के जूते खा सकता था पर सुनीता की न नहीं सुन सकता था  था , दिल टूट गया था  पर करे तो क्या वह था तो एक मामूली कार मैकेनिक  ।अब पन्नालाल का घर में रहना मुश्किल हो गया था जब भी अनीता उसके सामने पड़ती उसे अपने पर ग्लानि होती ।  उसने यह डिसाइड कर लिया की वह अब यंहा नहीं रहेगा ।एक दिन बिना किसी को बताये घर से निकल गया एक अनजानी जगह के लिए , उसने अपने पीछे एक चिट्ठी छोड़ दी थी जिसमें उसे न खोजने की बात लिख दी थी ।

और! आज पन्नालाल वापस आया है इतने सालो बाद  बाद ।

गोलू पन्नालाल के साथ हॉल में पहुंचा जंहा पहले से ही उसके पिता जी ,सभी भाई  और रिस्तेदार मौजूद थे । पन्नालाल को देखते ही सब के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई , पिता ने दौड़ के उसे गले लगा लिया ।बरसो बाद आज उन्होंने पन्नालाल को देखा है , कितना बदल गया है  पन्नालाल ....कंहा वह पहले वाला पतला दुबला सांवला और आवारा सा दिखने वाला पन्नालाल और कँहा यह स्मार्ट सा , महंगा सूट , महंगी घडी आँखों पर बर्नाडेड चश्मा गाले में मोटे सोने की चैन ... किसी बहुत अमीर विदेशी बाबू से कम नहीं लग रहा था ।

पन्नालाल के भाइयो और भाभियो ने भी उसे बहुत प्यार और आत्मीयता से मिले , खासकर अनीता भाभी  तो उसकी आरती उतारने लगी ... पन्नालाल मन ही मन मुस्कुरा रहा था ।पर पन्नालाल की आँखे तो सुनीता को देखने के लिए बेचैन थी ।तभी बाहर से सुनीता दाखिल हुई , शायद पार्लर से आई थी ।
आज भी सुनीता लगभग वैसी ही खूबसूरत लग रही थी जैसा वह पहले लगती रही  .... वही कसा हुआ बदन ,वैसा ही काजल भरी बड़ी बड़ी आँखे , ज्यादा बदलाव नहीं आया था उसकी व्यक्तित्व में ।जब सुनीता से उसकी नजरे मिली तो दोनों तरफ से मुस्कुराहटो का आदान प्रदान हुआ ।पन्नालाल ने महसूस किया की अब सुनीता की आँखों में उसके लिए पहले जैसी नफरत नहीं बल्कि प्यार झलक रहा था ।पन्नालाल भी अपने पन से उसे देख रहा था ।

चाय नास्ते के बाद बातो का सिलसिला शुरू हुआ ,
पन्नालाल ने सबको बताया की उसका  अपना मुम्बई में कार पार्ट्स बनाने का बड़ा कारखाना है ।उसके कारखाने में  बने हुए कार पार्ट्स कई नामी कार कम्पनियो को सप्लाई होते हैं जल्द ही वह एक और कारखाना लगाने वाला था, कई सालो तक वह विदेश में भी रह के आया है ।

सब उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे थे ,उसके बाद पन्नालाल ने अपना सूटकेस मंगवाया और उसे खोल  अपने पिता जी,भाइयो को घडी , मोबाइल आदि महंगे उपहार दिए । वह अनीता और नंदलाल की पत्नी यानि अपनी बड़ी भाभी के लिए भी महंगी साड़ियां और ज्वैलरी  ।
सभी रिस्तेदारो के लिए कुछ न कुछ कीमती उपहार था उसके पास ।सुनीता के लिए भी मंहगा और विदेशी लेडी परफ्यूम था , उसने हिचकते हुए उसे स्वीकार किया ।

अनीता तो अपने लिए इतने कीमती उपहार पा के बहुत खुश थी ,उसे अंदाजा हो गया था की पन्नालाल वाकई बहुत बड़ा आदमी बन चुका है ।

दिन भर अनीता पन्नालाल की ही खातिरदारी में लगी रही , वह उसे एक पल के लिए अकेला न छोड़ती और दुनिया भर की बाते उस से कर रही । बातो ही बातो में उसने अपने किये की मांफी भी मांग ली ।सुनीता के बारे में उसने खुद ही पन्नालाल को बताया की उसकी शादी हो गई थी पर कुछ ही सालो में उसने तलाक ले लिया क्यों की उसका पति ठीक नहीं था , कोई बच्चा भी नहीं है ।तलाक लेने के बाद वह उसने जॉब कर और तब से उसका शादी करने का मन ही नहीं किया ।

" क्यों देवर जी ?क्या तुमने शादी की ? " अनीता ने रात को पन्नालाल से पूछ ही लिया ।
हलाकि वह सुबह ही सबको बता चुका था की अभी तक उसने शादी नहीं की है पर अनीता फिर भी कंफर्म करना चाहती थी ।
"नहीं .. अभी नहीं ... अभी नहीं की शादी....पर अब सोच रहा हूँ की कर ही लूँ "  पन्नालाल ने रहस्मय मुस्कान और  ठंढी आह भर के साथ जबाब दिया ।
"फिर ठीक है ...." अनीता ने धीरे से कहा और मुस्कुरा दी,शायद वह पन्नालाल की अनकही बात समझ गई थी ।

अनीता सीधे सुनीता के पास गई जो दूसरे कमरे में थी ,वह सुनीता को बहुत देर तक कुछ समझाती रही ।
अंत में सुनीता बोली" क्या पन्नालाल मान जायेगा ? "
"अरे !वह सब मुझ पर छोड़... मैं उसे पटा लुंगी और बात कर लुंगी बस कल तू भी बारात में जरा उसके साथ ज्यादा समय रहाना ... डांस वांस करने के बहाने करीब आने की कोशिश करियो  ...मर्द जात होते है ही ऐसे है ... ज्यादा देर नहीं लगेगी उसे पिघलने में, तुझ पर तो वैसे ही पहले से मरता था ... बाकी मुझ पर छोड़ " अनीता ने बड़े आत्मविश्वास से कहा ।

अगले दिन सभी लोग शादी की तैयारी में लग गए , शाम की बारात जानी थी , सब अपने अपने काम में बिजी हो गए ।

पन्नालाल नजर नहीं आ रहा था शायद कंही चला गया था
शाम को पन्नालाल वापस आया , सब ने उसके गायब होने का कारण पूछा तो वह हँस के टाल गया ।

दो घण्टे बाद बारात रवाना हुई , और गंतव्य पर पहुंची ।बारात में  सबसे ज्यादा खूसूरत सुनीता ही लग रही थी, आज तो फुल मेकअप किया हुआ था ..बालो में गुथा गजरा दूर तक भीनी खुशबु बिखेर रहा था  ।अधिकतर पुरुष चोरी छिपे उसे ही निहार रहे थे पर वह इतराती बलखाती पन्नालाल के आस पास ही घूम रही थी ,पन्नालाल को रिझाने की पूरी कोशिश जारी थी ।
अनीता भी उन दोनों को ज्यादा से ज्यादा नजदीक रहने की कोशिश कर रही थी ।

गोलू की शादी में फिर एक बार धमाल मच रहा था , नागिन बैंड इस बार भी बुलाया गया ।
बाराती पुरे शबाब पर थे ,कूदते फांदते सब बारात घर की तरफ रवाना हो रहे थे ।पन्नालाल भी बारात के साथ चल रहा थी की अचानक किसी का फोन आ गया , फोन सुना तो उसके चेहरा खिल गया ।

सुनीता बार बार पन्नालाल को डांस करने के लिए उकसा रही थी कभी उसका हाथ पकड़ के खिचती तो कभी हँसते हुए उससे अपने साथ डांस करने के लिए कहती।पन्नालाल टाल रहा था , अचानक वह थोड़ी देर के लिए भीड़ से बहार गया और फटा फट कार में से एक बोतल निकली और तीन पटियाला खीच गया ।

अब करने दो उसको डांस , पन्नालाल भीड़ के बीच में डांस कर रहा थी...नागिन डांस , सुनीता थोड़ी दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी ।
अचानक पन्नालाल सुनीता के नजदीक आया ,सुनीता का दिल धड़क गया उसने सोचा की लगता है की पन्नालाल मान गया और उसका हाथ पकड़ के खीचने वाला ही है अपने साथ डांस के किये .... वह बिलकुल तैयार थी .. उसका दिल जोर से धड़कने लगा...मारे उत्तेजना के  उसकी आँखे बंद हो गई ।दूर खड़ी अनीता की साँस अटक गई की अब काम बन गया ।

पर यह क्या !!

पन्नालाल उसके बिल्कुल पास आके सुनीता पीछे खड़ी एक महिला का हाथ पकड़ के खीच  लेता है भीड़ में से अपने साथ डांस के लिए ।

ये महिला कौन थी ?उम्र होगी 30 साल के करीब ... सुंदर तो थी पर सुनीता जैसी नहीं , सुनीता से कम सुंदर होने के बाद भी उसके चेहरे की सौम्यता और सादगी उसको सुनीता से कंही ज्यादा अच्छी साबित कर रहे थे।

पन्नालाल ने डांस करते करते उस महिला को अपनी बाँहो में भर लिया और एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया  ,वह महिला भी बड़ी आत्मीयता के साथ पन्नालाल साथ दे रही थी ।पर आज पन्नालाल के पिता का जूता नहीं उतरा था ।

ये महिला कौन थी ? किसी ने भी इससे पहले उस महिला को नहीं देखा था , सभी उत्सुकता से पन्नालाल और उस महिला को देखे जा रहे थे ।सुनीता और अनीता को तो जैसे सदमा लग गया था उन्हें समझ नहीं आ रहा था की यह हो क्या रहा है , ये महिला कौन है और पन्नालाल उसे कैसे जानता है ।कँहा अनीता पन्नालाल को सुनीता के साथ देखने के लिए इतने तिकड़म कर रही थी और इस लड़की ने आके सब पानी फेर दिया ।मारे झल्लाहट के सुनीता तो वंही से घर लौट आई ।

बाद में पन्नालाल ने सबको बताया की वह महिला लता है , लता उस कार गैराज के मालिक की लड़की थी जिसके गैराज में पन्नालाल शुरू में काम करता था । आज जो कुछ भी है लता की बदौलत है , लता और वह दोनों शादी करना चाहते है। बिजनेस को स्टेण्ड करने के कारण पन्नालाल और लता शादी नहीं कर पाये थे ।पर अब जब सब कुछ ठीक है तो पन्नालाल ने लता को भी आज शादी में बुला लिया था ताकि उसे पन्नालाल के परिवार वाले भी देख लें और शादी की डेट भी फिक्स हो जाए ।

अनीता और सुनीता चुपचाप उदास चेहरा लिए सब सुन रही थी ....लता उन्हें नागिन लग रही थी ।

बस यंही तक थी कहानी ....
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- केशव (संजय )


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