Sunday 4 December 2016

जानिए क्या है स्वर्ग /जन्नत


स्वर्ग नर्क या जन्नत दोज़ख ये वो शब्द हैं जिनका विषय लिए बिना दुनिया का कोई आस्तिक धर्म ग्रन्थ पूरा नहीं होता ।धर्म -मज़हब इन्ही स्वर्ग नर्क , जन्नत दोज़ख का लालच और भय लिए जनता को आतंकित या लूटते चले आ रहे हैं ।
स्वर्ग पाने और उसके आनंद को भोगने का इतना प्रबल इच्छा पैदा कर दी जाती है धर्म मज़हब द्वारा की मनुष्य सभी कर्मकांड करने के अलावा खुद को बम्ब से उड़ा देने में भी नहीं हिचकता ।

गीता में कृष्ण से कहलवा जाता है - हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम् जित्वा भोग्यसे महीम"
अर्थात- अर्जुन , अगर तू मारा जाएगा तो स्वर्ग जायेगा और यदि विजयी होगा तो पृथ्वी का भोग करेगा।

यंहा स्वर्ग का लालच देके युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है अर्जुन को , अर्जुन को स्वर्ग का लालच दे अपने ही बंधुओ और सम्बन्धियो की हत्या करने के लिए प्रौत्साहित किया जा रहा है ।

अब स्वर्ग क्या है ?

स्वर्ग की व्याख्या ग्रन्थों में इस प्रकार की गई है - पदम् पुराण के अध्याय 90 में लिखा है - जंहा दिव्य अनान्द होते हैं ,जंहा अनेक सुंदर वस्तुएं होती हैं ,सुंदर बाग़ बग़ीचे होते हैं , शुभ कार्य होते हैं  ,कामना के सभी फलों के वृक्ष होते हैं (जिस वृक्ष के नीचे जिस चीज की कामना की जाए वह पूरी हो जाए ) , यात्रा के लिए विमान होते हैं इत्यादि

अब इसी प्रकार का जन्नत का वर्णन  क़ुरान में देखिये -
सुर:अल-वाक़िआ , आयत 12से 37

नेमत के बागों में ,फिर रहे होंगे उनके पास बच्चे(किशोर अवस्था)  सदैव रहने वाले ,कटोरे और जग लिए हुए और प्याला स्वच्छ शराब का , उससे न कोई सर दर्द होगा न बुद्धि  विकार आएगा ,और फल जो चाहे चुन लें ,पक्षियों के मांस जो उनको प्रिय हों ,और बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरें , जैसे मोती के दाने अपने आवरण के अंदर , बदला उन कर्मो का जो वो करते हैं ,बेर के वृक्षो जिनमे कोई काँटा न होगा ,गुच्छेदार केले ,और बहता हुआ पानी ,प्रचुर मात्रा में फल जो न कभी समाप्त होंगे न कोई रोका टोकी होगी ,हमने उन महिलाओं को विशेष रूप से बनाया है मन मोहने वाली और सामान रूप से "


है न कमाल का लालच ! एक व्यक्ति जिन भौतिक वस्तुओं की जरुरत रखता है वह सभी स्वर्ग जन्नत में देने का वादा किया जाता है धर्म मज़हब में ।
व्यक्ति संसार में अभाव ग्रस्त रहे ,दुखी रहे ,हीनता के दिन गुजारे किन्तु धर्म मज़हब का झण्डा उठाये सब सहता रहे इस लालच में की स्वर्ग जन्नत में उसकी सभी जरूरते पूरी हो जाएंगी ।

क्या आप भी इसी कारण झंडा उठाये हैं?
सोचिये....

और हाँ ...नास्तिकों का स्वर्ग जन्नत में प्रवेश निषेध है क्यों की स्वर्ग जन्नत के ठेकेदारों को भय था कि कंही नास्तिक लोग उनकी धूर्तता की पोल न खोल दें :)
"न तत्र नास्तिकाः यति"
अर्थात नास्तिक स्वर्ग नहीं पाते ....


No comments:

Post a Comment